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किसनपुर के दर्जनों गांव में फैला बाढ़ का पानी, उंचे स्थान पर शरण लिए लोग

संवाद सूत्र किशनपुर (सुपौल) कोसी नदी प्रति वर्ष तांडव मचाती है सड़कें बाढ़ की भेंट चढ़ ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 06:41 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 06:41 PM (IST)
किसनपुर के दर्जनों गांव में फैला बाढ़ का पानी, उंचे स्थान पर शरण लिए लोग

संवाद सूत्र, किशनपुर (सुपौल): कोसी नदी प्रति वर्ष तांडव मचाती है, सड़कें बाढ़ की भेंट चढ़ जाती है। कई गांवों के लोग भगवान के भरोसे अपनी जिदगी काट रहे हैं। घर के चारों तरफ पानी ही पानी है। बाढ़ में इस इलाके के लोगों की हाल बद से बदतर हो गई है। अपनी जिदगी को बचाने के लिए उनकी जंग जारी है। सड़कों के ध्वस्त होने से आने-जाने का रास्ता बंद है। यदि कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो उसे बचाना सबसे बड़ी समस्या है। लोग भगवान से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि आपदा के इस घड़ी में कोई बीमार नहीं हो। गांव में कैद होकर कई प्रकार की समस्याओं से लड़ाई लड़ रहे हैं। गांव के चारों ओर पानी ही पानी है। करीब पंद्रह हजार की आबादी चारों ओर से फंसी है। दूर से यह टापू नजर आता है। जिसमें परसामाधो पंचायत के एकडारा, बजरंगबली टोला, दुर्गा स्थान, वार्ड नंबर 1,6 व 2, फुलपरास टोला, मुस्लिम टोला, सिमराहा, सुजानपुर, हासा, झखराही, खानपुर, बेला, आसनपुर कुपहा, चमेलवा, खाप, सिसवा दुबियाही, परसाही, सिमराहा, परसाहा, सोनबरसा छिट, बुरजा, जोबहा, बेंगमगंज सहित दो दर्जन से अधिक गांवों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क खत्म हो गया है। यहां के लोग निकलना तो चाहते हैं पर निकलें कैसे और अगर निकल भी गए तो जाएंगे कहां। बाढ अवधि 15 जून से अक्टूबर तक लोगों को सिर्फ नाव ही एक साधन रह जाता है। कई गांव में एक से लेकर पांच किलोमीटर के दायरे में कोई पनाहगाह नहीं है। गांव के लोग अब तो यही मना रहे कि किसी को गंभीर बीमारी नहीं हो और इमरजेंसी की जरूरत नहीं पड़े। इस संकट में उसे कोई कहां ले जाएगा। बाढ़ ने गांव की मुख्य सड़कों को अपनी जद में ले लिया है। पिछले 15 दिनों से इसी प्रकार की स्थिति बनी है। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को खबर दी, लेकिन अब तक किसी ने जायजा नहीं लिया। नदी के कटाव से बौराहा एवं नौआबाखर पंचायत के दो सौ से अधिक घर नदी में समा गए। प्रखंड मुख्यालय से आवागमन बंद होने से आवश्यक उपयोग की सामग्री के मूल्य में दोगुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हो गई। गांव से बाहर जाने के लिए केवल नाव का ही सहारा है। मौजहा गांव के सुरेंद्र यादव, रामचंद्र यादव, रामअवतार सादा, बहादुर सादा, रमेश पासवान, मनोज शर्मा, शालीग्राम साह, दयालाल यादव, उपेंद्र यादव सहित कई लोगों ने बताया कि बाढ़ ने घर को ध्वस्त कर दिया और घर में रखी सारी सामग्री खत्म हो गई। एक घर बचा है जिसको पानी की तेज धारा काट रही है। हमलोगों के सामने भुखमरी की हालत हो गई है। परिवार के दो लोग बीमार हो गए हैं। कैसे उनका इलाज कराएं। कहां लेकर जाएं। गरीब लोग हैं। मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। अब तो ऊपर वाले का ही सहारा है। सीओ संध्या कुमारी ने बताया कि सभी जगहों पर अधिकारी को भेजकर सर्वेक्षण कराया जा रहा है उसके बाद लोगों को सरकारी सहायता दी जाएगी। वहीं जहां तक नाव का सवाल है तो अभी तक करीब पचास सरकारी व प्राइवेट नाव बहाल कर दिया गया है। आवश्यकता पडने पर और नाव बहाल किया जाएगा।

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