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रात भर थाने में चलता रहा हाई वोल्टेज ड्रामा, दर्ज नहीं हुआ केस

संवाद सूत्र मरौना (सुपौल) बाढ़ग्रस्त क्षेत्र सिसौनी में शुक्रवार की दोपहर पशुओं के लिए दवा क

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 05:39 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 05:39 PM (IST)
रात भर थाने में चलता रहा हाई वोल्टेज ड्रामा, दर्ज नहीं हुआ केस
रात भर थाने में चलता रहा हाई वोल्टेज ड्रामा, दर्ज नहीं हुआ केस

संवाद सूत्र, मरौना (सुपौल): बाढ़ग्रस्त क्षेत्र सिसौनी में शुक्रवार की दोपहर पशुओं के लिए दवा का वितरण करने गए पशुपालन विभाग के चिकित्सक समेत उनकी दवा लदी एंबुलेंस गाड़ी को ग्रामीणों के द्वारा नदी थाना के हवाले करने मामले में शुक्रवार की देर रात थाना परिसर में हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। पैरवी कर चिकित्सक को बचाने के लिए लोग थाने में जमे रहे। जिले से औषधि निरीक्षक प्रथम निर्भय कुमार गुप्ता व द्वितीय पंकज कुमार सुमन समेत अन्य अधिकारी थाना पहुंचे, जहां दवा की जांच की गई और सभी दवा का लिस्ट तैयार कर ले जाया गया। औषधि निरीक्षक पंकज कुमार सुमन ने बताया कि दवा पर एक्सपायर डेट कटा हुआ मिला। जिसकी सूची तैयार कर ली गई है और यह सूची पशुपालन विभाग को सौंप दी गई है। अब आगे की कार्रवाई पशुपालन विभाग से की जाएगी।

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मालूम हो कि सिसौनी गांव के ग्रामीणों ने शुक्रवार को पशु के लिए दवा वितरण करने आए एक एंबुलेंस व चिकित्सक को नदी थाना के हवाले कर दिया था। इन लोगों का आरोप था कि जो दवा मवेशी के लिए दी गई वह एक्सपायर है। किसी टेबलेट का पूरा भाग हमलोगों को नहीं दिया गया और जो टेबलेट दिया गया वह जहां एक्सपायर की तारीख लिखा रहता है वह कटा हुआ था। जो बोतल दी गई है उसपर सटा रैपर भी एक्सपायरी की जगह फटा हुआ था। चिकित्सक द्वारा सही जवाब भी नहीं दिया गया, जिस कारण लोगों ने पुलिस बुलाकर हवाले कर दिया। शनिवार को कुछ लोगों ने बताया कि देर रात तक हमलोग थाना में बैठे रहे, गाड़ी व चिकित्सक को बिना कार्रवाई के ही छोड़ दिया गया। बताया कि अब ऐसा लग रहा है कि पुलिस कुछ लोगों के दबाव में कार्रवाई नहीं करना चाह रही है। लोगों का कहना है कि अगर दो दिनों के अंदर जांच कर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो हमलोग आंदोलन करेंगे। इधर नदी थानाध्यक्ष रामानुज सिंह ने बताया कि औषधि विभाग से पदाधिकारी आए थे सभी दवा की लिस्ट बनाकर गाड़ी से दवा अपने साथ ले गए। विभाग के द्वारा हमें कोई कार्रवाई का आदेश नहीं प्राप्त हुआ तो गाड़ी व चिकित्सक को छोड़ना पड़ा।


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