खसरा-रूबैला टीकाकरण अभियान का डीएम ने किया शुभारंभ
सुपौल। खसरा-रूबैला टीकाकारण अभियान जिले में शुरू हो गया है। उक्त टीकाकरण अभियान का श
सुपौल। खसरा-रूबैला टीकाकारण अभियान जिले में शुरू हो गया है। उक्त टीकाकरण अभियान का शुभारंभ मंगलवार को जिलाधिकारी द्वारा सदर प्रखंड के नुनुपट्टी गांव स्थित मदरसा से किया गया। अभियान के उद्घाटन के मौके पर मदरसा परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएम बैद्यनाथ यादव ने कहा कि एक समय था जब विभिन्न बीमारियों के चलते काफी संख्या में लोग मरते थे। उस समय न तो कोई टीका था और न कोई दवा। अब तो कई बीमारियों के टीके आ गए हैं। कहा कि खसरा-रूबैला काफी खतरनाक बीमारी है। कई बार ऐसा देखने में आया है कि बच्चे जन्म लेने से पहले ही मर जाते हैं अथवा विकलांग जन्म लेते हैं। ऐसे बच्चे के परवरिश में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। घर वाले उसे ईश्वर की देन मान लेते हैं। लेकिन ऐसे विकलांग बच्चे पैदा न हो इसके लिए जरूरी है कि टीके लगवाएं। यह टीका नौ माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को लगना है। यह टीका नौ माह से कम आयु वाले बच्चों को नहीं लगना है और 15 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चे को भूलवश लग भी गया तो उसे फायदा नहीं करेगा और न ही हानि होगी। उन्होंने धार्मिक संगठन सहित अन्य संगठन से अपील करते हुए कहा कि जिस तरह स्वच्छता अभियान में सबने सहयोग प्रदान किया उसी प्रकार इस अभियान में सहयोग प्रदान करें ताकि अभियान पूर्णत: सफल हो। सिविल सर्जन डॉ. घनश्याम झा ने कहा कि यह बहुत ही खास अभियान है। इस अभियान के तहत कोई भी बच्चा छूटे नहीं इसका विशेष ख्याल रखा जाय। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा.सीके प्रसाद ने कहा कि जिस तरह हम सबने मिलकर देश को पोलियो मुक्त बनाया उसी तरह खसरा-रूबैला से इस देश को मुक्त बनाएंगे। जब इस देश में पोलियो कार्यक्रम चल रहा था तब अधिकांश विकसित देशों को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि भारत पोलियो मुक्त देश बनेगा। लेकिन सबने मिलकर इसे पोलियो मुक्त देश बनाकर दिखाया। अब इस देश को खसरा-रूबैला से मुक्त करने की ठान ली है। हमलोगों का उद्देश्य शत-प्रतिशत लक्ष्यों को आच्छादित करना है। जिला शिक्षा पदाधिकारी जगतपति चौधरी ने कहा कि यह कार्यक्रम निश्चित तौर पर अच्छा है। इस कार्यक्रम के तहत नौ माह से पन्द्रह वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण किया जाना है। लेकिन प्राथमिक व मध्य विद्यालय में छह वर्ष से चौदह वर्ष तक के बच्चे नामांकित रहते हैं। यूनिसेफ की अनुपमा चौधरी ने कहा कि बिना आम लोगों के सहयोग से कोई कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता। जिस तरह हम सबने पोलियो को खत्म किया उसी तरह इस बीमारी को खत्म करना है। डब्लूएचओ के डा.सचिन ने कहा कि खसरा एक जानलेवा बीमारी है जो तीव्र गति से फैलने वाला एक अति संक्रामक रोग है। इसके प्रभाव से बच्चों को निमोनिया, दस्त, दिमागी संक्रमण जैसी घातक बीमारी से संक्रमण का खतरा बना रहता है जो नवजात शिशुओं एवं बच्चों के मृत्यु का प्रमुख कारण है। वहीं गर्भावस्था के आरम्भ में स्त्री को रूबैला के संक्रमण होने की संभावना रहती है। इसमें होने वाले शिशुओं में सीआरएस हो सकता है। सीआरएस के कारण शिशु में अंधापन, बहरापन, मानसिक मंदता एवं दिल की बीमारी हो सकती है। रूबैला संक्रमण में गर्भवती स्त्रियों को गर्भपात एवं मृत जन्म की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने टीके के बाबत विस्तृत जानकारी दी। उक्त मदरसा में एएनएम सारिका एवं सबिता द्वारा बच्चों को टीके लगाए जा रहे थे जिससे डीएम ने आवश्यक पूछताछ भी की। कार्यक्रम का संचालन पंकज झा ने किया। इस मौके पर एसीएमओ डा.अरूण कुमार ¨सह, डीपीएम बालकृष्ण चौधरी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ममता कुमारी, स्वास्थ्य प्रबंधक हरिवंश ¨सह, मुखिया दिनेश पासी, पूर्व मुखिया रामचन्द्र यादव, मदरसा के प्रधान सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।