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मौसम की प्रतिकूलता पर भारी पड़ा आस्था का सैलाब

प्रखंड मुख्यालय से छह किलोमीटर पश्चिम दक्षिण चिलौनी उत्तर पंचायत स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर क्षेत्र के लोगों के असीम आस्था का प्रतीक है। लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व से यहां हो रही पूजा-अर्चना तथा बलि की प्रथा किसने शुरु की इसकी जानकारी किसी को नहीं लेकिन माता के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 01:34 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 01:34 AM (IST)
मौसम की प्रतिकूलता पर भारी पड़ा आस्था का सैलाब
मौसम की प्रतिकूलता पर भारी पड़ा आस्था का सैलाब

सुपौल। शारदीय नवरात्र के पावन मौके पर मुख्यालय स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर परिसर से भव्य कलश यात्रा निकाली गयी। इस दौरान मौसम की प्रतिकूलता पर आस्था का सैलाब भारी पड़ा और सैकड़ों की संख्या में परिधानों से सुसज्जित कन्याएं शीश पर कलश धारण कर यात्रा में शरीक हुईं। रिमझिम फुहारों संग ठिठुरन भरी सर्द तूफानी हवाओं की परवाह न करते हुए जब ये कन्याएं माथे पर कलश धारण कर आगे बढ़ी तो एकबारगी इनके हौसले और जज्बे के आगे मौसम की बेरुखी भी बौनी पड़ गयी। मंदिर परिसर में मुख्य पुजारी कुलानंद झा द्वारा विधि विधान से वरुण देवता का आह्वान कर कलश में विराजित सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गयी। तत्पश्चात मां के जयकारों के बीच श्रीफल युक्त कलशों को धारण कर सभी कन्याएं मुख्य मार्ग होते हुए छातापुर सर्वेश्वरनाथ महादेव मंदिर पहुंची और वहां से कलश में जल भरकर वापस मंदिर लौटते हुए यात्रा का समापन किया। इस दौरान समस्त बाजार का ²श्य विहंगम बना रहा। मां के जयकारों के बीच रंग-बिरंगे परिधानों से लिपटी कन्याएं जब सर पर चुनरी ओढ़े कतारबद्ध होकर निकली तो एकबारगी लोगों की निगाहें थम सी गयीं। कलश शोभा यात्रा के सफल संचालन हेतु प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पूजा कमेटी के सभी सदस्य व स्थानीय गणमान्य लोग भी काफी तत्पर दिखे। यात्रा में शामिल सभी कन्याओं के बीच सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति की तरफ से शरबत व फल वितरित किये गए। कलश यात्रा के संयोजक गुंजन भगत ने इस अवसर पर यात्रा में शामिल सभी कन्याओं का आभार व्यक्त करते हुए विपरीत मौसम में भी कलश यात्रा को सफल बनाने के लिये उन्हें मंगल कामना दी। बताया कि कलश यात्रा की परंपरा पूर्व से चली आ रही है। यह जिस मार्ग से गुजरती है वहां शांति, मंगल, पुण्य व अमृत का वास होता है। यात्रा को सफल बनाने में पूजा कमेटी अध्यक्ष गौरी शंकर भगत, उपाध्यक्ष गुड्डू भगत, केशव कुमार गुड्डू, सुशील प्रसाद कर्ण, सूरज चंद्र प्रकाश, संतोष साह, रमण भगत, सोनू भगत, संजीव मुखिया, सुभाष मुखिया, बाला कुमार, अमबेडकर सिंह, कुंदन चौधरी, शशांक कुमार, रामटहल भगत, पंकज भगत, अमित भगत, पन्ना धनराज, नवीन भगत, शिवम कुमार, हिमांशु कुमार, बॉबी कुमार, रविकांत रवि, सौरभ कुमार, आर्यन कुमार, आशीष कुमार समेत अन्य लोगों का सार्थक योगदान रहा।

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