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दुर्गासप्तशती के पाठ से वातावरण हुआ भक्तिमय

प्रखंड मुख्यालय से छह किलोमीटर पश्चिम दक्षिण चिलौनी उत्तर पंचायत स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर क्षेत्र के लोगों के असीम आस्था का प्रतीक है। लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व से यहां हो रही पूजा-अर्चना तथा बलि की प्रथा किसने शुरु की इसकी जानकारी किसी को नहीं लेकिन माता के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 01:33 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 01:33 AM (IST)
दुर्गासप्तशती के पाठ से वातावरण हुआ भक्तिमय
दुर्गासप्तशती के पाठ से वातावरण हुआ भक्तिमय

सुपौल। शारदीय नवरात्र के आरंभ के साथ ही क्षेत्र में हर तरफ श्रद्धा व उल्लास का वातावरण बन गया है। मुहूर्त के अनुसार कलश स्थापना के साथ ही मूसलाधार बारिश के बीच नवरात्र के प्रथम दिन माता के दरबार में पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ सुबह से ही जुटने लगी। क्षेत्र के करजाईन बा•ार स्थित दुर्गा मंदिर में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र, रतनपुर पुरानी बा•ार में पंडित अजय मिश्र, बसावनपट्टी, ढाढा, गोसपुर, बौराहा, परमानंदपुर, साहेवान, रतनपुर नया बाजार स्थित माता के मंदिरों में विद्वतजनों के वेद ध्वनि एवं दुर्गासप्तशती के पाठ से पूरा इलाका भक्तिमय हो गया है। क्षेत्र के दुर्गा पूजा आयोजन समिति से जुड़े लोगों ने बताया कि पूर्ण हर्षोल्लास से नवरात्र शुरू हो चुका है। माता के मंदिर में पूर्ण विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जा रही है।

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अनंत फल देने वाली देवी है मां ब्रह्मचारिणी आदि शक्ति श्री दुर्गा का दितीय रूपांतर श्री ब्रह्मचारिणी है। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इसलिए ये तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी के नाम से विख्यात है। नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बारे में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान साधकों को अपना चित्त स्वाधिष्ठान चक्र में स्थिर कर अपनी साधना करनी चाहिए। इनके पूजन से स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होने की सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती है। श्री ब्रह्मचारिणी भक्तों व साधकों को अनंत फल देनेवाली देवी है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय के साथ-साथ संपूर्ण ऐश्वर्य एवं सुख-शांति की प्राप्ति भी निश्चित प्राप्त होती है।


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