सुपौल में फर्ज निभाने के लिए चट्टान की मानिद खड़ी हैं नूतन
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किशनपुर की एएनएम नूतन प्रकाश इसी जंग का हिस्सा बनी हुई है जो इस विपदा की घड़ी में अपना फर्ज निभाने के लिए चट्टान की मानिद खड़ी हैं।
सुपौल। कोरोना से जंग करनेवाले योद्धा का जज्बा देश की सरहद पर सीना ताने खड़े किसी सैनिक की तरह है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, किशनपुर की एएनएम नूतन प्रकाश इसी जंग का हिस्सा बनी हुई है जो इस विपदा की घड़ी में अपना फर्ज निभाने के लिए चट्टान की मानिद खड़ी हैं। वे त्याग, समर्पण और सेवा भाव से कोरोना की लड़ाई लड़ रही है। कोरोना की पहली लहर में उनकी पहली ड्यूटी क्वारंटाइन सेंटर में लगी, जहां उन्होंने तन-मन से मरीजों की सेवा की। उसके बाद उनकी ड्यूटी कोरोना जांच व सैंपल लेने में लगा दी गई। उन्हें कोरोना संदिग्धों की एंटीजन जांच करनी पड़ती थी और आरटीपीसीआर व ट्रू नेट जांच के लिए सैंपल लेने पड़ते थे। ऐसे समय में वह हमेशा खतरों से घिरा महसूस करती थी। बावजूद वह अपने कर्त्तव्य पथ से डिगी नहीं और आंख मूंद कर आगे बढ़ती चली गई। जनवरी माह में उन्हें वैक्सीनेशन कार्य में लगा दिया गया और इस कार्य को भी उसने बखूबी अंजाम दी। फिलहाल वह कोरोना संदिग्ध की जांच व सैंपल लेने में लगी हुई है। नूतन मूल रूप से मुंगेर की रहने वाली हैं और कार्य की अधिकता के चलते वह कई माह से अपनों से नहीं मिल पाई है। नूतन का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बीच रोजाना ड्यूटी करना आसान नहीं है। नर्स की नौकरी में सेवा का जज्बा लेकर आई थी जिसे मैंने बरकरार रखा। बगैर घबराए हमेशा मैंने हिम्मत से काम ली। इस महामारी ने काफी कुछ सिखाया है। इसे मैं सौभाग्य ही समझती हूं कि इस संक्रमण के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में भागीदार हूं। इस लड़ाई में अपना योगदान देकर मुझे खुशी महसूस हो रही है। कहा कि सामान्य समय में हर व्यक्ति काम कर लेता है, विपदा में किसी की सेवा करना ही मानव धर्म है। कोरोना को डरकर नहीं बल्कि मजबूती और हौसले के साथ लड़कर ही हराया जा सकता है। जब-जब मानव सेवा में मेरी जरुरत होगी आगे की पंक्ति में खड़ी मिलूंगी।