Move to Jagran APP

विशेषज्ञों का टोटा बरकरार, चालू नहीं हो सका है वेंटिलेटर

- अधिकांश मरीज बाहर कर दिए जाते हैं रेफर जागरण संवाददाता सुपौल जिले में आम मरीजों के स्व

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 06:22 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 06:22 PM (IST)
विशेषज्ञों का टोटा बरकरार, चालू नहीं हो सका है वेंटिलेटर
विशेषज्ञों का टोटा बरकरार, चालू नहीं हो सका है वेंटिलेटर

- अधिकांश मरीज बाहर कर दिए जाते हैं रेफर

loksabha election banner

जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले में आम मरीजों के स्वास्थ्य की व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हो सका है। आज भी अधिकांश मरीज बाहर रेफर कर दिए जाते हैं। सदर अस्पताल का बड़ा और आकर्षक भवन तो तैयार हो चुका लेकिन जो सुविधाएं मरीजों को मिलनी चाहिए वह आज भी मयस्सर नहीं। विशेषज्ञ,चिकित्सक व कर्मियों, तकनीशियन और संसाधनों का टोटा आज भी बरकरार है। कोरोना दिन-प्रतिदिन भयंकर रूप लेता जा रहा है और देश के अधिकतर अस्पतालों में संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। वहीं सुपौल सदर अस्पताल की मौजूदा स्थिति इसके उलट है। यहां पर्याप्त बेड है और ऑक्सीजन की भी समुचित व्यवस्था है। ऐसा भी नहीं है कि अन्य अस्पतालों की तरह यहां मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है। बावजूद इसके मरीजों का इलाज संतोषप्रद नहीं हो पा रहा है। मरीज के परिजन अगर एक्टिव हैं तो इलाज ठीक-ठाक हो पाएगा, वर्ना..। मालूम हो कि इस सदर अस्पताल में हर माह लगभग दो करोड़ की राशि वेतन व मेंटेंनेंस आदि पर खर्च की जाती हैं बावजूद मरीज जिस बेहतर चिकित्सीय सेवा की उम्मीद लेकर इलाज के लिए आते हैं वह उसे नहीं मिल पाता है।

------------------------------------------

कोरोना मरीजों के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता जिला प्रशासन

हालांकि कोरोना संक्रमण के दौरान जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से कोविड मरीजों के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या रोज बढ़ रही है, लेकिन कोविड केयर सेंटर और आइसोलेशन सेंटर में बेड खाली हैं। जिले में सात सेंटरों में कोरोना मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक रविवार तक 504 बेड खाली रहे जबकि जिले में कोरोना संक्रमण के 3388 एक्टिव केस हैं। जिले के सीएचसी, एएनएम स्कूल, जीएनएम स्कूल, बुनियादी केन्द्र, औषधालय और निजी अस्पतालों में 606 बेड कोरोना संक्रमितों के लिए बनाए गये हैं। इसके अलावा पारा मेडिकल कॉलेज में 100 बेड का कोविड केयर सेंटर चिन्हित किया गया है। यहां भर्ती संक्रमित मरीजों को दवा के साथ-साथ डॉक्टरों की सलाह भी मिल रही है। सभी कोविड सेंटर में 24 घंटे डॉक्टर के अलावा एएनएम की तैनाती रोस्टर वाइज की गई है। जिला मुख्यालय में तीन निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज होता है। इसमें अनंत प्रेरणा में 19 बेड, लाइफ लाइन हॉस्पीटल में 21 और मिथिला हॉस्पीटल में 11 बेड का कोविड केयर सेंटर चल रहा है। दो वेंटिलेटर भी निजी क्लीनिक में क्रियाशील है जो अभी खाली है। रेमिडेसिविर समेत सभी आवश्यक दवाईयां जिले में उपलब्ध है।

----------------------------------------

दूर नहीं हो पाई चिकित्सकों व कर्मियों की कमी सदर अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मियों के स्वीकृत पद व कार्यरत बल के बीच इतनी गहरी खाई बन चुकी है कि मरीजों का सही इलाज यक्ष प्रश्न बन गया है। सदर अस्पताल में एक दिन में करीब चार-पांच सौ मरीज आउटडोर में अपना इलाज कराते हैं। लेकिन यहां चिकित्सकों की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन ओपीडी यानि जेनरल, मेडिकल व सर्जिकल ओपीडी में तीन चिकित्सक के बदले अक्सर एक चिकित्सक मरीजों का इलाज करते नजर आएंगे। ऐसे में मरीजों की भीड़ के आगे ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक भी खुद को लाचार महसूस करते हैं। उन्हें मरीजों का नब्ज टटोलने की फुर्सत नहीं मिल पाती। इन सब परेशानियों के बीच मरीज खुद को ठगा महसूस करते हैं। ---------------------------------------------------- कहने को छह वेंटिलेटर लेकिन आज भी क्रियाशील नहीं विडंबना देखिए कि सुपौल सदर अस्पताल में पड़े छह वेंटिलटर को आज भी क्रियाशील नहीं किया जा सका है। पड़ताल के दौरान ये बात सामने आई कि वेंटीलेटर के लिए न तो टेक्नीशियन है और न ही चिकित्सक। वेंटीलेटर चलाने के लिए टेक्नीशियन व चिकित्सक की बहाली निकाली गई थी लेकिन पद के अनुरूप आवेदन ही नहीं आया। ऐसी स्थिति में वेंटिलेटर को चलाने के लिए एक चिकित्सक के अलावा चार ओटी असिस्टेंट व बीएससी नर्सिंग स्टाफ की व्यवस्था की गई है। यह भी बात सामने आई कि वेंटिलेटर चालू करने के लिए कई संयंत्र की कमी है जो अब तक राज्य स्तर से उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। नतीजा है कि यह नहीं कहा जा सकता कि कितने दिनों में वेंटीलेटर की सुविधा लोगों को मिलने लगेगी। -------------------------------------------------------

त्रिवेणीगंज की घटना ने झकझोर दिया

जिले में कोविड मरीजों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध रहने के बावजूद शनिवार को जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडल में घटी घटना ने अंदर से झकझोर दिया। पिलुवाहा का 39 वर्षीय एक मरीज कोविड केयर सेंटर के सामने ही दम तोड़ दिया। स्वजन की मानें तो पहले तो कुछ देर तक कोई देखने वाला नहीं हुआ और फिर उसे गंभीर बताते बाहर ले जाने की सलाह दी गई। लेकिन न आक्सीजन दिया गया और न एंबुलेंस की सुविधा मिली। मरीज ने वहीं दम तोड़ दिया। तस्वीर जो सामने आई उसमें बाद में सड़क पर ही उसे एक ऑक्सीजन लगा दिया गया था।

----------------------------------------

सदर अस्पताल में स्वीकृत पद एवं कार्यरत बल पद स्वीकृत------------ कार्यरत चिकित्सक 38 20 हेल्थ मैनेजर 01 00 ए ग्रेड नर्स 51 39 प्र. प्रावैधिक 05 01 एक्स-रे टे. 04 01 फर्मासिस्ट 07 01(संविदा पर) नेत्र सहायक 01 02( 1 संविदा पर) अन्य कर्मी 37 14


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.