अब सीबीएसई की तर्ज पर बिहार बोर्ड के बच्चों को भी मिलेगा नंबर
सुपौल। अब सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर बिहार बोर्ड भी बच्चों को नंबर देगा। इंटर और मैट्रिक मे
सुपौल। अब सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर बिहार बोर्ड भी बच्चों को नंबर देगा। इंटर और मैट्रिक में अब बच्चों को नंबर देने में कंजूसी नहीं की जाएगी। गुरुवार को सुपौल उच्च माध्यमिक विद्यालय सुपौल में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से संबंधित कार्यशाला में माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक व महाविद्यालय के प्रधान परीक्षक एवं सह परीक्षकों को मूल्यांकन का यह गुर सिखाया गया। प्रशिक्षण का उद्घाटन जिला शिक्षा पदाधिकारी जगतपति चौधरी ने किया। इस दौरान अनुमंडल के शिक्षकों को मूल्यांकन की विभिन्न बारीकियों से अवगत कराया गया। प्रशिक्षक के तौर पर उपस्थित डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद यादव, शैलेन्द्र कुमार सुधांशु, रविन्द्र कुमार पाण्डेय तथा डॉ. प्रणव कुमार ¨सह ने प्रशिक्षण के दौरान कहा कि अब बिहार बोर्ड भी अपने मिथक को तोड़ना चाहता है। बिहार बोर्ड भी सीबीएसई की तर्ज पर इस परिपाटी को चलाना चाहता है कि अगर किसी बच्चे को दस में दस अंक मिल रहे हैं तो उसे 10 अंक दिया जा सकता है। जबकि पहले यह होता था किसी को 90 प्रतिशत नंबर देने पर बोर्ड को उसकी जानकारी अलग से देनी पड़ती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बिहार बोर्ड ने इसकी बाध्यता समाप्त कर दी है। प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को मूल रूप से बताया गया कि मूलत: उदारता और वस्तुनिष्ठता के आधार पर बच्चों को नंबर दिया जाएगा। इसमें कोई कंजूसी नहीं बरती जाएगी। इसी क्रम में मूल्यांकन के दौरान बच्चों की कॉपियों पर समय देने की बात बताते हुए कहा कि कॉपियों का अवलोकन ठीक से कीजिए, उसको पढि़ए, समझिए और उसके बाद जितने नंबर के वे हकदार हैं उसे उतना नंबर दीजिए। इसमें कहीं से कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। साथ ही साथ मूल्यांकन के दौरान कोई गलती न हो इन बातों का ख्याल खास तौर पर रखने की जरूरत है। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि बिहार की धरती डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की धरती रही है। लेकिन शिक्षा के मामले में आज बिहार की फजीहत हो रही है। कहीं न कहीं आप परीक्षकों की भूल के कारण राज्य टॉपर बच्चों को संदेह की नजर से देखा जाता है। मूल्यांकन कार्य करते समय सावधानी बरतने के साथ-साथ कॉपियों का सही अवलोकन कर उसे उचित अंक दें। ताकि बोर्ड को इस प्रकार की फजीहतों का सामना नहीं करना पड़े। कार्यशाला में अनुमंडल क्षेत्र के करीब साढ़े चार सौ शिक्षक मौजूद थे।