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श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही उत्सव में डूबा सुपौल

सोमवार की मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही पूरा जिला उत्सव में डूब गया। मंदिरों के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 06:34 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 06:34 PM (IST)
श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही उत्सव में डूबा सुपौल
श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही उत्सव में डूबा सुपौल

सुपौल। सोमवार की मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही पूरा जिला उत्सव में डूब गया। मंदिरों के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए गए।

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सदर प्रखंड के भेलाही, कोसी कालोनी चौक तथा कर्णपुर उत्तर एवं दक्षिण भाग, बसबिट्टी, परसरमा-परसौनी, बरैल, बरुआरी पश्चिम, बरुआरी पूरब, लौकहा, करिहो आदि कई जगहों पर भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की प्रतिमा स्थापित कर भगवान की पूजा-अर्चना की जा रही है। कृष्ण जन्माष्टमी होने के कारण लोगों ने उपवास रखा और मध्य रात में भगवान के जन्म के बाद लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना की और इनकी मनोहारी सूरत की आरती उतारी। इस दौरान महिलाओं ने सोहर गाकर जन्मोत्सव मनाया।

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कर्णपुर में मथुरा सा नजारा

कर्णपुर गांव में जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा सा नजारा था। यहां उत्तर और दक्षिण टोले में भगवान की प्रतिमा स्थापित की जाती है और श्रद्धा-भक्ति से नटवरनागर की पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व के अवसर पर अधिकांश पुरुष लाल और पीली धोती में हाथ में माखन से भरा मिट्टी का कटोरा और वंशी लिए कृष्ण मंदिर की ओर जाते हुए देखे गए। प्राय: हर घर में लोगों ने व्रत रखा था। यहां नए बर्तन में जमा दही और फल से भगवान की पूजा हुई और प्रसाद वितरण किया गया। पर्व में गांव से बाहर रहने वाले लोग गांव आते हैं इसलिए यहां विशेष चहल-पहल है। लोगों ने बांस की बंशी तो बंशी तो बंशीवाले को अर्पित किया ही साथ द्रव्यों की बनी बंशी चढ़ाने का भी विधान है। लोग अपनी मनौती पूरी होने पर सोने-चांदी की बंशी भी चढ़ाते हैं। यहां युवाओं के बीच मटकीफोड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।

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बसबिट्टी में श्रीकृष्ण के साथ बनती है माता भगवती की प्रतिमा

जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर उत्तर स्थित बसबिट्टी कुंवर टोला की जन्माष्टमी भी खास होती है। यहां श्रीकृष्ण और राधारानी की प्रतिमा के साथ ही माता भगवती के दरबार की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। इसके अलावा खासियत यह भी कि प्रतिमा विसर्जन के बाद यहां लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जलते हैं। इस परंपरा का निर्वहन लगभग एक सौ वर्षों से हो रहा है। लोगों की इस स्थान से श्रद्धा इतनी है कि प्रतिमा बनवाने के लिए लोगों को अपने नंबर के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है। जानकारी देते हुए पूजा समिति के अध्यक्ष शुभंकर कुमार ने बताया कि पटना के संवेदक स्थानीय विजय कुमार सिंह के द्वारा प्रतिमा बनवाई गई है। बता दें कि यह केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह का पैतृक गांव है।

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धर्म की स्थापना के लिए हर युग में आते हैं भगवान

श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे। यानी साधुओं की रक्षा करने के लिए, पाप करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की भली भांति स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूं। कृष्णाष्टमी के मौके पर विभिन्न मंदिरों में गीता के ये श्लोक मंगलवार को गूंज रहे थे।


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