Move to Jagran APP

जानें क्यों बदनाम है बिहार की कोसी नदी, इसके फिर मचलने से दहशत में हैं लोग

बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी अपनी मचलती धारा के कारण बदनाम है। यह कब किस तरफ करवट बदलेगी कोई नहीं जानता? इस बार भी इसकी उफनती धारा के कारण लोग दहशत में हैं। जानिए कोसी को..

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 09:39 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 10:11 PM (IST)
जानें क्यों बदनाम है बिहार की कोसी नदी, इसके फिर मचलने से दहशत में हैं लोग

सुपौल [भरत कुमार झा]। कोसी अपनी धारा परिवर्तन की उच्छृंखलता के कारण ही बिहार का शोक कही जाती है। हालांकि, बिहार की अधिकांश नदियों का यही चरित्र है, लेकिन कोसी कुछ अधिक बदनाम इस कारण है कि वह दूसरी तमाम नदियों की तुलना में विस्तृत भूभाग में तेजी से धारा परिवर्तन करती है।

loksabha election banner

1731 में फारबिसगंज और पूर्णिया के पास बहने वाली कोसी धीरे-धीरे पश्चिम की ओर खिसकते हुए 1892 में मुरलीगंज के पास, 1922 में मधेपुरा के पास,1936 में सहरसा और दरभंगा-मधुबनी जिला के समीप पहुंच गई। इस प्रकार लगभग सवा दो सौ साल में कोसी 110 किमी पश्चिम खिसक गई।

1959 से किया पूरब की ओर रुख

 1959 से तटबंधों के बीच कैद कोसी पूरब की ओर लौटने को काफी व्यग्र दिखी। 1984 में नवहट्टा के समीप तटबंध का टूटना इसी व्यग्रता का परिणाम रहा। इसके बाद से लगातार कोसी पूर्वी तटबंध पर आक्रामक रुख अख्तियार किए रही है।  2008 में पूर्वी तटबंध पर पूर्वी इलाके में एक बड़े भूभाग में इसने उत्पात मचाया था। 

तटबंधों में कैद रहने के बाद भी मनमर्जी से बदलती है धारा

कोसी के आक्रमण से हर साल होने वाली बड़ी क्षति को देखते हुए ही सही, कोसी को तटबंधों के बीच कैद कर दिया गया। 126 किलोमीटर पूर्वी तथा 122 किलोमीटर पश्चिमी तटबंध का निर्माण कराया गया। 1959 में 56 फाटकों वाले 1149 मीटर लंबे बराज का निर्माण कराया गया।

सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार जिलों के 22.69 लाख एकड़ क्षेत्रफल में करीब 2887 किमी लंबी नहरों का जाल बिछाया गया। मकसद पानी के दबाव को तोडऩे तथा कोसी के पानी का ङ्क्षसचाई में उपयोग करने का था। बावजूद, कोसी की धारा में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सका। अपनी प्रकृति के अनुसार वह धारा बदलती उन्मुक्त होने को हमेशा व्यग्र दिखी है।

 विगत तीन साल से करने लगी पश्चिम की ओर रुख

 2016 से कोसी की नजर फिर पश्चिम की ओर जाने लगी। लगातार पश्चिमी तटबंध के कई बिंदुओं पर उसका दबाव बनता रहा। इस वर्ष जो उत्पात कोसी का पश्चिमी इलाके में दिख रहा है उससे तो स्पष्ट होने लगा है कि अब कोसी ने पश्चिम का रुख करना शुरू कर दिया है। हालांकि, एक मुख्यधारा अभी भी पूर्वी तटबंध से सटी बह रही है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.