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दलीय समीकरणों के बीच जातीय फार्मूले पर हल हो रही टिकट की समस्या

सुपौल । भले ही चुनाव दलीय समीकरण और गठबंधन के आधार पर लड़ा जा रहा है लेकिन टिकट

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 05:19 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 05:19 PM (IST)
दलीय समीकरणों के बीच जातीय फार्मूले पर हल हो रही टिकट की समस्या
दलीय समीकरणों के बीच जातीय फार्मूले पर हल हो रही टिकट की समस्या

सुपौल । भले ही चुनाव दलीय समीकरण और गठबंधन के आधार पर लड़ा जा रहा है लेकिन टिकट का समाधान और चुनाव में जीत हार का आकलन तो जातीय फार्मूले पर ही किया जाता है। टिकट के बंटवारे में सीटिग गेटिग के बावजूद दलों द्वारा जातीय फार्मूले पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अब देखिए राजग गठबंधन से इस चुनाव सुपौल, निर्मली और त्रिवेणीगंज से सीटिग गेटिग के आधार पर टिकट कंफर्म कर दिया गया। लेकिन खाली पड़े पिपरा विधानसभा क्षेत्र के लिए पार्टी ने जातीय गणित का पूरा ख्याल रखा। यह क्षेत्र जिस जातीय गणित पर फिट बैठता है उसी के आधार पर टिकट। राजद से भी अतिपिछड़ा और जदयू से भी अतिपिछड़ा। छातापुर की सीट भाजपा के कोटे में है। जहां मामला इसी पेंच में फंसा हुआ था। आखिरकार यहां से भी राजद कांग्रेस गठबंधन ने इस बार अतिपिछड़ा का कार्ड खेला है। यही हाल सुपौल की सीट पर राजद कांग्रेस गठबंधन का है। कई नाम हैं लेकिन कौन अधिक प्रभावी होगा या फिर उक्त फार्मूले पर कौन सटीक बैठेगा इस पर मंथन चल रहा है। दलीय समीकरणों के यहां कोई मायने नहीं हैं। राजनीतिक गलियारों में तो टिकट की चर्चा लाजिमी है लेकिन अब तो चाय की दुकानों और चौपालों में टिकट बंटवारे की समस्या शुरू होती है और उसे जातीय फार्मूले पर हल कर दिया जाता है। सुबह का समय है। स्टेशन चौक पर अखबार के सेंटरों के बीच शंभू की चाय दुकान है। चाय की चुस्की के साथ अखाबार इस दुकान का मुख्य आकर्षण है। यही कारण है कि चाय के बाद प्रमुख समाचारों पर चर्चा होने लगती है। चूकि समय चुनावी है इसलिए आजकल चुनाव पर चर्चा अधिक होती है। इस बहस में स्थानीय लोगों के साथ-साथ कई नौकरी पेशे वाले भी शरीक होते हैं। आज का विषय टिकट है सो इस पर ही बहस छिड़ गई। छातापुर विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुई बहस सुपौल पर आकर अटक गई। भगत जी बोल उठे देख लिए न इतना मंथन और माथापच्ची के बाद आखिर राजद ने भी अतिपिछड़ा कार्ड ही खेला है। इसीलिए अपने दलीय वोटों के अलावा उम्मीदवार के जमात वाला वोट तो बोनस का काम करेगा। बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि बीच में ही टपक पड़े चौधरी जी बोले चुनाव है जनाब इतना आसान नहीं है। इसबार जिले में कहीं से भी पार्टी ने किसी अल्पसंख्यक को उम्मीदवार नहीं बनाया है। जबकि गत चुनाव में अगर सबसे कम कहीं मारजीन से हार हुई थी तो वह छातापुर क्षेत्र ही था। उससे पहले वाले चुनाव को भी देखिए रनर अल्पसंख्यक उम्मीदवार ही रहा था। गुप्ता जी बोले ऐसा नहीं है कोई भी उम्मीदवार हो माय समीकरण छातापुर में कारगर रहा है। जातीय समीकरण पर ही बहस थोड़ी लंबी होने लगी कि बीच में ही मंडल जी ने हस्तक्षेप करते कहा कि सुपौल की बात कीजिए न राज्य के लिए तो यह हॉट सीट है। वहीं बैठे गोविद जी को रहा नहीं गया बोल उठे पहले ये फाइनल हो न कि कांग्रेस का उम्मीदवार होगा कि राजद का। साहा जी बोले कि अब तो लग रहा है कि सीट कहीं कांग्रेस के पाले में न चला जाए। देखे नहीं कि राजद से लवली आनंद का नाम था लेकिन पार्टी ने उन्हें सहरसा से टिकट दिया है। जो भी हो उम्मीदवार तो मजबूत देना होगा। मंडल जी बोले मजबूत मतलब। साहा जी बाले मजबूत मतलब जिसकी जातीय पकड़ मजबूत हो और उस जाति का वोट अधिक हो ताकि माय समीकरण का सही लाभ मिल सके। इसी बीच सूर्य की किरण तेज होने लगी टिकट का समाधान नहीं हो सका और आज की मजलिश यहीं पर अटक गई।

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