शरीर व मस्तिष्क दोनों के सही विकास के लिए आवश्यक है आयोडीन
सुपौल। डेंगू, चिकुनगुनिया व एनवन एचवन को ले अन्त: क्षेत्रीय बैठक एवं विश्व आयोडीन अल्पता बचाव दि
सुपौल। डेंगू, चिकुनगुनिया व एनवन एचवन को ले अन्त: क्षेत्रीय बैठक एवं विश्व आयोडीन अल्पता बचाव दिवस पर कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार को सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में सिविल सर्जन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डा. घनश्याम झा ने कहा कि डेंगू की बीमारी संक्रमित एक मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन में काटता है एवं पानी में पनपता है। इस बीमारी से बदन में दर्द, सर में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे तथा नाक, मसूढे या उल्टी से रक्त स्त्राव होना एवं काला पैखाना होना गंभीर लक्षण हैं। वहीं चिकुनगुनिया एडिस मच्?छर के काटने से होता है। इसे पीले ज्?वर का मच्?छर भी कहा जाता है। चिकुनगुनिया बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के दो से चार दिनों के बाद सामने आते हैं। यह संक्रमण अधिकांश मामलों में प्राणघातक नहीं होता। अधिकांश मरीज कुछ दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं। लेकिन इसका असर लंबे समय तक रह सकता है, जिसमें कई हफ्तों तक थकान रह सकती है। महीनों या वर्षों के लिए जोड़ों में दर्द रह सकता है। वहीं आयोडीन अल्पता बचाव दिवस पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए सीएस ने कहा कि आयोडीन एक प्राकृतिक तत्व है जो हमारे जीवन के लिए जरूरी है। आयोडीन शरीर व मस्तिष्क दोनों के सही विकास और संचालन के लिए आवश्यक है। आयोडीन की कमी से नवजात शिशु के शरीर व दिमाग के विकास में हमेशा के लिए रुकावट आ सकती है। साथ ही बौनापन, गुंगापन तथा बहरापन, मंदबुद्धि, शारीरिक अपंगता आदि हो सकते हैं। कार्यक्रम में और भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। इस मौके पर जिला भीबीडीसी पदाधिकारी सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी अरूण कुमार ¨सह, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा.मेजर शशिभूषण प्रसाद, डीपीएम, डब्लूएचओ के एसएमओ, यूनिसेफ एसएमसी अनुपमा चौधरी, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य उपस्थित थे।