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सुपौल में झमाझम बारिश से तर हुए खेत, इस बार धान की होगी अगता फसल

पिछले कई वर्षों के बाद मानसून ने जून के शुरू में ही दस्तक दे दी। हालांकि इससे दलहन फसल को क्षति हुई परंतु खरीफ फसल के लिए वरदान साबित होगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Jun 2021 07:10 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jun 2021 07:10 PM (IST)
सुपौल में झमाझम बारिश से तर हुए खेत, इस बार धान की होगी अगता फसल

सुपौल। पिछले कई वर्षों के बाद मानसून ने जून के शुरू में ही दस्तक दे दी। हालांकि इससे दलहन फसल को क्षति हुई परंतु खरीफ फसल के लिए वरदान साबित होगा। किसान बताते हैं कि कई वर्षों के बाद मानसून जून के शुरुआत में ही प्रवेश किया, जिससे खेतों में नर्सरी लगाने में काफी मदद मिली। अक्सर यहां मानसून का प्रवेश जून के अंतिम सप्ताह में होता था। जिससे किसानों को बिचड़ा बोने व उसे बचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। अब जबकि किसानों के खेत में लगा बिचड़ा रोपाई के लायक हो गया है तो जिले में धीरे-धीरे धानरोपनी भी शुरू हो गई है। जिसमें एक सप्ताह बाद तेजी आने की संभावना है।

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8500 हेक्टेयर खेतों में लगाया जाना था बिचड़ा

खरीफ के लिए विभाग ने जो लक्ष्य तय किए थे उनके अनुसार 8500 हेक्टेयर खेतों में धान का नर्सरी लगाया जाना था। जिसमें अग्रणी, मध्यम तथा पछता तीनों किस्म के धान शामिल थे। जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार इसके लिए जिले में 3219.88 क्विटल बीजों का वितरण अनुदानित मूल्यों पर किया जाना था। इसके लिए जिले के 50 हजार किसानों ने आवेदन किए थे। जिसमें से अभी तक विभाग को 3181.88 क्विटल बीज प्राप्त हुआ है। प्राप्त बीज में से 2633.33 क्विटल बीज का वितरण किया जा चुका है। हालांकि कुछ नए आवेदन भी मिले हैं जिन्हें बीज उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार समय से मानसून आ जाने के कारण किसानों को काफी फायदा हुआ है। एक तो समय से खेतों में बिचड़ा लगाया जा सका और इसे बचाने में भी किसानों को कम खर्च वहन करना पड़ा है।

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मौसम को ले खुश है अन्नदाता समय से मानसून उतर जाने के कारण किसान इस बार खरीफ फसल को लेकर काफी खुश नजर आ रहे हैं। किसानों का मानना है कि बिचड़ा के समय मानसून ने जिस तरह से साथ दिया अगर भविष्य में भी ऐसा साथ मिला तो निश्चित ही धान की पैदावार बंपर होगी। फिलहाल किसान गहरे जमीन की रोपाई शुरू कर दी है। किसानों का मानना है कि जिस तरह समय पर रोपाई का कार्य हो रहा है निश्चित ही पैदावार में बढ़ोतरी होगी।


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