शिक्षा स्वयंसेवियों के मामले में शिक्षा विभाग के 12 पदाधिकारियों पर प्रपत्र क
सुपौल। अवैध बहाली के मामले में सेवा से बर्खास्त 25 शिक्षा स्वयंसेवियों को शिक्षा विभाग द्वारा लगभग
सुपौल। अवैध बहाली के मामले में सेवा से बर्खास्त 25 शिक्षा स्वयंसेवियों को शिक्षा विभाग द्वारा लगभग चार वर्षो से सेवा में बरकरार रखकर वेतन के नाम पर लाखों रुपये के भुगतान किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। मामला उजागर होने पर शिक्षा विभाग के बारह दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध प्रपत्र क में आरोप गठित कर विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। अवैध बहाली में दोषी 25 प्रधानाध्यापकों को निलंबित करने का जिलाधिकारी का आदेश चार वर्षो से शिक्षा विभाग की संचिका में धूल फांक रहा है। भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान के अनिल कुमार ¨सह ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त सूचना के आलोक में मामले को उजागर करते हुए शिक्षा विभाग एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन से मुलाकात कर एक परिवाद पत्र दाखिल किया है। जिसमें शिक्षा विभाग के 6 जिला शिक्षा पदाधिकारी, 05 जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एवं 14 प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दोषी मानते हुए कार्रवाई का अनुरोध किया है।
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क्या है मामला
शिक्षा विभाग ने अल्पसंख्यक अति पिछड़ा अक्षर आंचल योजना अंतर्गत तालिमी मरकज के शिक्षा स्वयंसेवक का चयन हेतु दिशा-निर्देश जारी कर सुपौल शिक्षा विभाग को चयन करने का आदेश दिया। सुपौल के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने नियम कानून को ताक पर रखकर अति पिछड़ा वर्ग के पद पर 25 सामान्य जाति के शिक्षा स्वयंसेवियों को बहाल कर दिया। तत्कालीन जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अवैध बहाल 25 शिक्षा स्वयंसेवक को सेवा से मुक्त करते हुए दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया।
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बर्खास्त 25 शिक्षा स्वयंसेवक 04 वर्षो तक रहे कार्यरत
जिलाधिकारी सुपौल द्वारा 29 जुलाई 2014 को 25 अवैध शिक्षा स्वयंसेवकों को सेवा से हटाने का आदेश देते हुए बहाल करने वाले 25 प्रधानाध्यापकों को निलंबित करने का आदेश दिया। जिलाधिकारी के आदेश पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा एवं साक्षरता सुपौल ने अपने पत्रांक 167 दिनांक 25 अगस्त 2014 के द्वारा अवैध बहाल 25 शिक्षा स्वयंसेवक के चयन को रद्द कर दिया। लेकिन सभी बर्खास्त 25 शिक्षा स्वयंसेवक लगभग कार्यरत रहे एवं वेतन प्राप्त करते रहे। जिलाधिकारी द्वारा 25 प्रधानाध्यापकों को निलंबित करने का आदेश भी विभागीय संचिका में आज तक बंद है। जब मामला निदेशक जन शिक्षा बिहार पटना के संज्ञान में आया तो निदेशक पटना के आदेश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी सुपौल ने अपने पत्रांक 112 दिनांक 31 मई 2018 के द्वारा पूर्व से बर्खास्त शिक्षा स्वयंसेवकों को पुन: बर्खास्त किया गया।
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शिक्षा विभाग के एक दर्जन पदाधिकारियों पर प्रपत्र क गठित
जन शिक्षा पटना के आदेश पर अवैध बहाली में 12 दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध आरोप से संबंधित प्रपत्र क गठित कर दिया गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी राष्ट्रीय माध्यमिक एवं साक्षरता के हस्ताक्षर से 02 जिला शिक्षा पदाधिकारी, 03 कार्यक्रम पदाधिकारी एवं 07 प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के विरुद्ध प्रपत्र क गठित कर विभागीय कार्रवाई हेतु निदेशक जन शिक्षा बिहार पटना को भेजा गया है। जिसमें तत्कालीन डीईओ वर्तमान में बिहार माध्यमिक शिक्षा पटना के उप निदेशक सुल्तान अहमद तथा बिहार मदरसा बोर्ड के सचिव जाहिद हुसैन तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बेगूसराय अमर भूषण,तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अर्जुन रजक एवं दिनेश्वर यादव तथा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विनय कुमार झा सुपौल, मणि कुमारी किशनपुर, योगेन्द्र पासवान छातापुर, सतीश कुमार श्रीवास्तव मरौना, अशर्फी सहनी बसंतपुर, परशुराम मोची राघोपुर, मनोज कुमार वर्मा पिपरा शामिल है।
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परिवाद में क्या है आरोप
भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान सह सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार ¨सह ने निगरानी सह शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष समर्पित अपने परिवाद में पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए अवैध बहाली एवं बर्खास्त 25 शिक्षा स्वयंसेवक को कार्यरत मानकर वेतन देने वाले सभी पदाधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करते हुए कार्रवाई का अनुरोध किया है। उन्होंने 23 अगस्त 2014 से 31 मई 2018 तक की अवधि में सुपौल में कार्यरत 06 जिला शिक्षा पदाधिकारी, 05 जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तथा 14 प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इस मामले में दोषी ठहराया है।