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शहर में डिवाइडर और बाहर तीखे मोड़ बन रहे डेंजर जोन

सुपौल। आज के समय में सड़क दुर्घटना एक बड़ी समस्या बन कर सामने आ रही है। आये दिन सड़क

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 06:04 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 06:04 PM (IST)
शहर में डिवाइडर और बाहर तीखे मोड़ बन रहे डेंजर जोन
शहर में डिवाइडर और बाहर तीखे मोड़ बन रहे डेंजर जोन

सुपौल। आज के समय में सड़क दुर्घटना एक बड़ी समस्या बन कर सामने आ रही है। आये दिन सड़क दुर्घटना में दर्जनों लोग काल के गाल में समा रहे हैं। दुर्घटना के पीछे प्रमुख कारणों में शहर में डिवाइडर और बाहर सड़कों पर बने तीखे मोड़ व स्पीड ब्रेकर हैं। जिसकी वजह से अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। कई तीखे मोड़ तो ऐसे हैं जिनका अपना अलग इतिहास है और वे लोगों के बीच डेंजर जोन के नाम से जाने जाते हैं। मानक के अनुरूप नहीं बनाए गए रोड डिवाइडर शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कई स्थानों पर रोड डिवाइडर बनाए गए। इसे बनाने में मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है। मानक का ख्याल नहीं रखे जाने के कारण दुर्घटनाओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। इस महीने की ही बात करें तो लोहियानगर रेलवे ढाला के पास एक नवंबर की रात एक ट्रक डिवाइडर से टकराया। तीन नवंबर को यहीं एक कार डिवाइडर से टकराई जिसमें दो लोग जख्मी हो गए। छह नवंबर को इसी स्थान पर एक एक्सयूवी टकराई। इसके बाद भी 11,13 और 18 नवंबर को तीन वाहन डिवाइडर से टकराए जिसमें छह से अधिक लोग घायल हुए। 21 नवंबर को भी माल गोदाम के पास कार डिवाइडर से टकराई। सवार लोगों को मामूली चोटें आईं लेकिन तमाम दुर्घटनाओं में वाहनों को काफी क्षति हुई।

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तीखा मोड़ कहलाता डेंजर जोन सरायगढ़-अररिया एनएच 327 ई पर सुपौल जिला अंतर्गत कई ऐसे तीखे मोड़ हैं जहां अक्सर दुर्घटनाएं घट जा रही हैं। सुपौल-पिपरा एनएच पर निर्मली चौक से पहले थुमहा व पिपरा के बीच दो ऐसे तीखे मोड़ हैं जो अक्सर हादसे को आमंत्रण देते हैं और वहां हादसा हो भी जाया करता है। पिपरा-जदिया के बीच तो कई जगह तीखे मोड़ हैं। खासकर एनएच 327 ई पर कोपाड़ी मोड़ तो डेंजर जोन के नाम से ही विख्यात हो गया है। आये दिन यहां दुर्घटनाएं होती है और लोग काल के गाल में समाते हैं। पिपरा-वीरपुर एनएच 106 पर भी कमलपुर मोड़ डेंजर जोन के नाम से ही जाना जाता है। यहां भी आये दिन गाड़ियां पलटती है और दुर्घटनाएं होती हैं। इस पथ पर आनंदीपट्टी, सरहोचिया व गणपतगंज चौक से पहले तीखा मोड़ है। जो अक्सर हादसों का गवाह बनता है। कटैया पावर हाउस से पहले भी एक तीखा मोड़ है। जहां अक्सर दुर्घटनाएं होती है। सुपौल से भपटियाही जाने वाली एनएच 327 ई पर कई तीखे मोड़ हैं। चैनिसंगपट्टी के करीब, अंदौली महीपट्टी के बीच, मध्य विद्यालय चौहट्टा के समीप सड़क पर बने ये तीखे मोड़ अक्सर जानलेवा साबित हो रहे हैं। सुपौल-सिंहेश्वर पथ पर हरदी-जीवछपुर, गम्हिरया के समीप तीखे मोड़ हैं। करिहो और चकला-निर्मली के बीच पुल के समीप तीखा मोड़ कई गाड़ियों सहित लोगों को अपने आगोश में लेकर मौत की नींद सुला चुका है। सुपौल-सहरसा पथ भी हादसों के लिए चर्चित है। कर्णपुर चौक, मल्हनी मोड़, परसरमा चौक से आगे तीखा मोड़ कई हादसों को झेल और देख चुका है। अक्सर यहां गाड़िया पलटती है और लोग हताहत होते हैं।

चलिए करते हैं एनएच 57 का रुख

सिमराही एनएच 106 व एनएच 57 का क्रासिग अक्सर दुर्घटनाओं का गवाह बनता है। यहां अक्सर गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त होती है। एनएच 57 पर रेनकट एक बड़ी समस्या बन कर सामने आ रही है। रेनकट के कारण एनएच 57 पर कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। सड़क चौड़ी व फोरलेन होने के कारण एनएच 57 पर तीखा मोड़ तो हादसों का कारण नहीं बन रही लेकिन गाड़ियों की रफ्तार आये दिन दुर्घटनाओं को जन्म दे जा रही है।

सड़कों पर स्पीड ब्रेकर का खौफ शहरी सड़क पर गौर करने के बाद ग्रामीण सड़कों का हाल देखें तो तीखा मोड़ के साथ-साथ स्पीड ब्रेकर भी समस्या बन सामने खड़ी है। अक्सर स्पीड ब्रेकर के कारण इन ग्रामीण सड़कों पर दुर्घटनाएं होती है। सड़कों पर स्पीड ब्रेकर तोड़ डालने के उच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद ग्रामीण सड़कों पर अब भी स्पीड ब्रेकर दिख जा रहे हैं। लोग अपनी सुविधा अनुसार सड़क निर्माण संवेदक पर दबाव डाल कर अपने घर के इर्द-गिर्द स्पीड ब्रेकर बना लेते हैं। नतीजा होता है कि दो पहिया सवार तो इन स्पीड ब्रेकर का निशाना बन ही जाता है। हाल के दिनों में सुपौल सहरसा मुख्य सड़क में भी कर्णपुर चौक के पास एक ही जगह कई स्पीड ब्रेकर बना दिए गए हैं जो वाहनों के लिए परेशानी खड़ा करता है।


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