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आज भी पीछा नहीं छोड़ रहा भुतही नदी का भूत

सुपौल। सरकार हर टोले को पक्की सड़क से जोड़ने को जहां कटिबद्ध वहीं एक बड़ी आबादी वर्षो

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 01:34 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 01:34 AM (IST)
आज भी पीछा नहीं छोड़ रहा भुतही नदी का भूत
आज भी पीछा नहीं छोड़ रहा भुतही नदी का भूत

सुपौल। सरकार हर टोले को पक्की सड़क से जोड़ने को जहां कटिबद्ध वहीं एक बड़ी आबादी वर्षों से एक अदद पुल के बिना परेशानी झेलने को विवश है। पिपरा प्रखंड स्थित रतौली पंचायत का भुतही नदी का भूत पीछा नहीं छोड़ रहा है। नदी पर पुल नहीं रहने के कारण खासकर बारिश के दिनों में अपने ही पंचायत के दूसरे गांव जाने के लिए लोगों को आठ-नौ किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों के लिए यह अभिशाप बना हुआ है। नदी के दूसरे किनारे स्थित गांव के बच्चे आठ महीने ही विद्यालय पहुंच पाते हैं। पंचायत के भूगोल को प्रभावित करती है नदी पंचायत के बीचोबीच से गुजरने वाली यह नदी पंचायत को दो भागों में विभक्त करती है। नदी के पूरब तट पर जरौली, झरका, कजही तथा पश्चिमी तट पर रतौली, बैरिया, लालमनिया समेत क्षेत्र का एकलौता उच्च विद्यालय स्थित है। वैसे तो नदी में सालों भर पानी रहता है लेकिन वर्षा के तीन महीने इसकी उफान चरम पर होती है। परिणाम होता है कि पूर्वी तट से पश्चिम तट की दूरी महज पांच सौ मीटर के बदले लोगों को आठ-नौ किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है। डेढ़ दशक पूर्व हुआ था पुल निर्माण कार्य प्रारंभ इस नदी पर सघन जवाहर रोजगार योजना के तहत 1998 में 7 लाख 72 हजार चार सौ रुपये की लागत से तीन स्पेन के आरसीसी पुल निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। इसके तहत योजना संख्या 6/98 के द्वारा निर्माण कार्य भी शुरू हुआ और 3 लाख 55 हजार 257 रुपये की भुगतान भी किया गया। परन्तु स्थानीय राजनीति और मॉडल के कारण कार्य बीच में ही रोक दिया गया। मॉडल पर स्थानीय लोगों ने सवालिया निशान उठाते हुए कहा था कि नदी की जितनी चौड़ाई है उस हिसाब से पुल पांच स्पेन का होना चाहिए। तीन स्पेन का पुल नदी के गोद में ही समाया रहेगा। लोगों के आरोप के मद्देनजर मंत्रिमंडल निगरानी तथा बिहार लोकायुक्त के तहत संयुक्त जांच की गई। जिसमें तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, कनीय अभियंता को गलत प्राक्कलन तैयार करने का उत्तरदायी बताते हुए विभाग के सचिव को पत्र लिखा गया। 28.1.2007 को विभाग के सचिव द्वारा कार्य पर रोक लगा दी गई जो आज तक बंद है और लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है।

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