Move to Jagran APP

प्रयासों के बावजूद परवान नही चढ़ पाई जैविक खेती योजना

सुपौल जिले में जैविक खाद का प्रयोग परवान नहीं चढ़ पाया और खेतों में आज भी रासायनिक खादों का ही अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 06:02 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 06:02 PM (IST)
प्रयासों के बावजूद परवान नही चढ़ पाई जैविक खेती योजना
प्रयासों के बावजूद परवान नही चढ़ पाई जैविक खेती योजना

सुपौल। रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से धरा की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिए सरकार और विभाग प्रयासरत है। रासायनिक खाद का कम से कम प्रयोग और जैविक खाद के सहारे खेतों में हरियाली लाने के लिए तरह-तरह के प्रयास चल रहे हैं पर विडंबना है कि सुपौल जिले में जैविक खाद का प्रयोग परवान नहीं चढ़ पाया और खेतों में आज भी रासायनिक खादों का ही अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है।

loksabha election banner

----------------------------

वर्मी उत्पादन से मुंह मोड़ चले किसान व पशुपालक

सरकार के साथ-साथ कृषि विभाग द्वारा जैविक खाद के प्रयोग के लिए कई कार्यशाला व शिविर आयोजित कर किसानों को आकर्षित किया गया। पशुपालकों को भी जैविक खाद उत्पादन को लेकर तरह-तरह के प्रोत्साहन दिए गए। शुरुआती दौर में किसान और पशुपालक इस दिशा में जागरूक भी हुए पर जैविक खाद निर्माण में आने वाली कई तरह की बाधाओं और सु²ढ़ बाजार व्यवस्था नहीं रहने के कारण उनका मोह इससे भंग होते चला। कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर द्वारा भी किसानों व पशुपालकों के बीच फैलाई गई जागरूकता इस दिशा में काम नहीं आ सकी।

----------------------------

आर्थिक सहायता भी नहीं आ सकी काम

जैविक खाद यानि वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन को लेकर कई तरह के प्रयास किए गए। किसानों व पशुपालकों को प्रोत्साहित कर वर्मी बेड बनवाया गया। इसके लिए उन्हें आर्थिक सहायता भी दी गई पर यह योजना धरातल पर सफल नहीं हो पाई। किसानों और पशुपालकों ने जो वर्मी का उत्पादन भी किया उसको खरीदार नहीं मिल पाया। नतीजा किसानों ने अपने ही खेतों में वर्मी डाल कर इससे पिड छुड़ाना उचित समझा। वर्तमान समय में जिले में इसको लेकर किसानों और पशुपालकों में कोई उत्सुकता नहीं दिख रही।

---------------------------

कहते हैं खाद विक्रेता

जैविक खाद रासायनिक खाद की तुलना में अच्छा और कम हानिकारक है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति पर भी कोई खास असर नहीं पड़ता। वर्मी बेचने में भी तरह-तरह की परेशानी सामने आती है। एक तो खरीदार नहीं हैं और दूसरा अगर वर्मी कुछ दिन गोदाम में रह जाता है तो खराब हो जाता है। कोई लेने को तैयार नहीं होता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.