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सीमा पर यातायात सुविधाएं मुहैया कराने में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा

-बंदरगाह फोर लेन और रेल मार्ग से जुड़ी नेपाल की सीमा -कच्चे माल की आपूर्ति में उद्योगपि

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 12:34 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 12:34 AM (IST)
सीमा पर यातायात सुविधाएं मुहैया कराने में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा
सीमा पर यातायात सुविधाएं मुहैया कराने में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा

-बंदरगाह, फोर लेन और रेल मार्ग से जुड़ी नेपाल की सीमा

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-कच्चे माल की आपूर्ति में उद्योगपतियों को हुई सहूलियत

-नेपाल के उद्योगपति दे सकेंगे भारत और चीन को टक्कर

अशोक झा, जोगबनी(अररिया): भारत और चीन के बीच व्यवसायिक जंग के चलते आने वाले समय में सीमावर्ती जिला अररिया देश के उद्योपतियों की पहली पसंद बन जाएगा। दोनों देश इसे लेकर नेपाल और नेपाल की सीमा पर जल, थल और नभ में यातायात की सुविधाओं को बहाल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं नेपाल देश स्वयं को भविष्य का सिगापुर के रुप में देख रहा है। जिसमें भारत का अभूतपूर्व सहयोग मिल रहा है। गौरतलब है कि

भारत देश के तरफ से नेपाल के अंदर वाया जोगबनी होकर रेलवे लाइन बिछाई जा रही है जिसपर विराटनगर लैंडपोर्ट स्थित कस्टम यार्ड तक ट्रायल हो चुका है। नेपाल देश में कोलकाता बंदरगाह से तीसरे देश माल लोकसभा चुनाव 2019 के बाद उतरने लगेगा। फिलहाल 19 मार्च को कोलकाता बंदरगाह से बथनाहा रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी तीसरे देश का माल लेकर पहुंची थी। जिससे नेपाल देश के उद्योगपतियों को कच्चे माल मांगाने में केवल किराए को रुप में ही 30-40 फीसद तक बचत होगी। इसके अलावा भारत -नेपाल मैत्री परियोजना के तहत विराटनगर में नेपाल देश के लिए लैंड पोर्ट और बाईपास सड़क निर्माण का कार्य भी भारत के सहयोग से चल रहा है जो मई 2019 तक पूर्ण हो जाएगा। वहीं जोगबनी में लैंडपोर्ट का उद्घाटन पांच मार्च को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कर चुके हैं। नेपाल के अधिकारिक सूत्रों ने बताया का भारत सरकार की महापरियोजना में जोगबनी लैंडपोर्ट एयरपोर्ट की सु?विधा मुहैया कराना भी शामिल है। इसके अलावा उत्रराखंड से पूर्वी भारत तक नेपाल की सीमा के निकट इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड को केंद्र सरकार भारत माला परियोजना में शामिल कर चुका है। वहीं चीन सरकार हिमालय को काटकर भारतीय सीमा तक नेपाल में सड़क बना रहा है। इस परियोजना के पूरे हो जाने से अररिया और चीन की दूरी 170-80 किमी ही रह जाएगी।

------कोट---------

आने वाले समय में सीमावर्ती क्षेत्रों में उद्योग व व्यवसाय के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बढोतरी होगी। विराटनगर और अररिया, दोनों क्षेत्र औद्योगिक हब के रूप में तब्दील हो जाएंगे। चीन-से अररिया की दूर तीन-चार घंटे हो जाएगी। जिसका उत्पाद बेहतर और सस्ता होगा, वह व्यवसाय के क्षेत्र में राज करेगा। नेपाल देश के उद्योगपति इसी लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।

राकेश सुराना- सदस्य मोरंग उद्योग संगठन, विराटनगर

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- नेपाल के लिए बथनाहा तक रेल से तीसरे देश के माल की आपूर्ति की सुविधा भारत सरकार ने प्रदान कर दिया है। नेपाल चीन और भारत से फोर लैंड सड़क से जुड़ रहा है। रेलमार्ग से लोकसभा चुनाव के बाद नेपाल जुड़ जाएगा। निश्चित रुप से भारत देश नेपाल को यातायात सुविधाओं को देने में चीन को पीछे छोड़ दिया है।

-विद्यासागर केसरी, विधायक फारबिसगंज।


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