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मुख्यमंत्री ने तीन वर्ष पहले सौंपा भवन, अधिकारियों ने हैंडओवर के पेंच में उलझाया

निरंतर हो रहे विकास और आमलोगों को सरकार की योजनाओं से सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में सरकारी तंत्र कितना संजीदा है इसका एक ज्वलंत उदाहरण है सुपौल नगर परिषद अंतर्गत बस स्टैंड पर नागरिक सुविधा के लिए करोड़ों की लागत से बना भवन। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्कालीन नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री महेश्वर हजारी की गरिमामयी उपस्थिति में नगर विकास एवं आवास विभाग के बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड पटना द्वारा चार करोड़ रुपये की लागत से बने भवन को 24 दिसंबर 2016 को उद्घाटन करते हुए आम जनता को समर्पित किया। लेकिन हैरत की बात ये है कि तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी भवन नगर परिषद सुपौल को हेंड ओवर नहीं किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 06:11 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:11 PM (IST)
मुख्यमंत्री ने तीन वर्ष पहले सौंपा भवन, अधिकारियों ने हैंडओवर के पेंच में उलझाया
मुख्यमंत्री ने तीन वर्ष पहले सौंपा भवन, अधिकारियों ने हैंडओवर के पेंच में उलझाया

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जागरण संवाददाता, सुपौल: निरंतर हो रहे विकास और आमलोगों को सरकार की योजनाओं से सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में सरकारी तंत्र कितना संजीदा है, इसका एक ज्वलंत उदाहरण है सुपौल नगर परिषद अंतर्गत बस स्टैंड पर नागरिक सुविधा के लिए करोड़ों की लागत से बना भवन। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्कालीन नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री महेश्वर हजारी की गरिमामयी उपस्थिति में नगर विकास एवं आवास विभाग के बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड पटना द्वारा चार करोड़ रुपये की लागत से बने भवन को 24 दिसंबर 2016 को उद्घाटन करते हुए आम जनता को समर्पित किया। लेकिन हैरत की बात ये है कि तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी भवन नगर परिषद सुपौल को हेंड ओवर नहीं किया गया है। नतीजा है कि नगर परिषद इस भवन को अपना भवन नहीं मान रहा है और भवन आज लावारिश स्थिति में है। यही वजह है कि इसी भवन में पिछले महीने शराब की एक बड़ी खेप बरामद की गई।

सुपौल जिला मुख्यालय का एक मात्र बस स्टैंड जो नगर परिषद के क्षेत्राधीन है, बिहार सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत बस स्टैंड पर नागरिकों की सुविधा के लिए एक आधुनिक सामुदायिक भवन की योजना बनाई। लगभग चार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस भवन निर्माण का जिम्मा बिहार सरकार के उपक्रम बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड को वित्तीय वर्ष 2013-14 में दिया गया। दो मंजिला इस भवन में यात्रियों के मुफ्त ठहराव के लिए कमरा, शौचालय, पानी, बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई गई। वर्ष 2016 में यह भवन बनकर तैयार हो गया। बिहार के मुख्यमंत्री ने 24 दिसंबर 2016 को इस भवन का लोकार्पण करते हुए आम जनता को समर्पित कर दिया। लेकिन सरकारी तंत्र और पदाधिकारियों के कागजी दाव पेंच में तीन वर्षों तक भवन के हेंड ओवर की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कागज में संबंधित विभाग को स्मार पत्र देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रहे हैं। इधर इस सुसज्जित भवन का पिछले तीन वर्षों से गैर कानूनी रूप से उपयोग हो रहा है। सरकारी तंत्र कितना संजीदा है यह भवन के निरीक्षण से पता चल जाएगा। हर दरवाजे पर अलग-अलग ताले लगे हैं जो इसके लगातार व्यवहार में रहने का प्रमाण देता है। बिजली के पंखे बरामदे पर लटके हैं जिसमें बिजली भी प्रवाहित हो रही है। बरामदे के ही एक किनारे बिजली के तारों का जाल फैला हुआ है जो बता रहा है कि इससे कई जगहों पर बिजली की आपूर्ति भी हो रही है। यहां विडंबना देखिए कि बस स्टैंड को नगर परिषद को खुद नगर परिषद अपने ही हाथों चला रहा है।


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