Move to Jagran APP

संशोधित::: हेलो डाक्टर ::: कमजोर होती मांसपेशियों से कम हो जाती देखने की क्षामता

फोटो फाइल नंबर-3एसयूपी-4 जागरण संवाददाता, सुपौल: आंख मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग ह

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 10:26 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 10:26 PM (IST)
संशोधित::: हेलो डाक्टर ::: कमजोर होती मांसपेशियों से कम हो जाती देखने की क्षामता
संशोधित::: हेलो डाक्टर ::: कमजोर होती मांसपेशियों से कम हो जाती देखने की क्षामता

फोटो फाइल नंबर-3एसयूपी-4

loksabha election banner

जागरण संवाददाता, सुपौल: आंख मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। बदलते लाइफस्टाइल व खानपान के चलते काफी संख्या में लोग आंखों की तरह-तरह की बीमारियों से परेशान हैं। न सिर्फ बड़े बल्कि आजकल युवाओं और छोटे-छोटे बच्चों को भी चश्मा लगना, धुंधला दिखाई देना, आंखों में दर्द होना, आंख में जलन होना आदि जैसी शिकायतें रहती हैं। लोग छोटी-छोटी गलतियों की वजह से अनजाने में अपनी आंखों को खराब कर लेते हैं। हद से ज्यादा फोन, टैबलेट, टीवी और कंप्यूटर के आगे वक्त बिताना, दूषित और फास्टफूड का सेवन करना, हरी सब्जियों का सेवन न करना, समय पर भोजन ना करना, हर समय ¨चता और तनाव में रहना आदि कई ऐसे कारण हैं जो आंख को काफी प्रभावित करते हैं। इससे आंखों के आसपास की मांसपेशियां अपने लचीलेपन को समाप्त कर देती है और आंखें कठोर हो जाती है। इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें लोगों की आदतों या रुटीन में शुमार है जो आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचाती है। बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति को तरह-तरह की परेशानियां और बीमारियां घेर लेती है और आंख भी इससे बची नहीं रहती। आंखों की कुछ बीमारियां बढ़ती उम्र में घेर लेती है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ आंखों की मांसपेशियां कमजोर होती जाती है और उसका लचीलापन भी कम हो जाता है। परिणाम स्वरूप व्यक्ति के देखने की क्षमता कम होती जाती है। ऐसी स्थिति में समय रहते चेकअप कराया जाए तो आंख की बीमारियों से बचा जा सकता है। दरअसल आंख कई छोटे हिस्सों से बनी जटिल ग्रन्थि होती है। साफ देख पाने की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि ये हिस्से कितने सही तरीके से काम करते है। ²ष्टि एक छवि बनाने के लिए दोनों आंखों के साथ में उपयोग की क्षमता होती है। सटीक ²ष्टि के लिए दोनों आंखें एक साथ आसानी से सटीक एवं बराबर काम करती है। जब कोई संक्रमण या अन्य समस्या होती है तो आंखों की रोशनी जाती रहती है। प्रेस बायोपिया, मोतिया¨बद, एज रिलेटेड मैकुलर डिजनेशन, फ्लोटरस, ग्लूकोमा सहित कई ऐसी समस्या है जिससे व्यक्ति को बढ़ती उम्र के साथ जूझना पड़ता है। इसी कड़ी में शुक्रवार को जागरण की पहल पर नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.बिनोद कुमार द्वारा लोगों के संशय और समस्या का समाधान किया गया।

---------------------------------------------

सवाल- मेरे पिता की उम्र 65 साल है। उन्हें हमेशा आंख के सामने कुहासे जैसा लगता है। सामने खड़े आदमी को तो वे देखते हैं लेकिन उस आदमी का चेहरा उन्हें साफ नहीं दिखाई पड़ता। क्या करें?

(प्रमोद कुमार, सुपौल)

जवाब- ये मोतिया¨बद के लक्षण हैं। बढ़ती उम्र के साथ होने वाली यह आंखों की सबसे सामान्य समस्या है। इस समस्या में आंख के अंदर के लेंस की पारदर्शिता धीरे.धीरे कम होती जाती है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति को धुंधला दिखाई देने लगता है। दरअसल आंखों का लेंस प्रोटीन और पानी से बना होता है। जब उम्र बढ़ने लगती है तो ये प्रोटीन आपस में जुड़ने लगते हैं और लेंस के उस भाग को धुंधला कर देते हैं। मोतिया¨बद धीरे-धीरे बढ़ कर पूरी तरह ²ष्टि को भी खराब कर सकता है। यह दो तरह का होता है- पका हुआ मोतिया¨बद व बिना पका हुआ मोतिया¨बद। इसका इलाज ऑपरेशन ही है। पिताजी को शीघ्र चिकित्सक के पास ले जाएं और इसका ऑपरेशन करवाएं।

--------------------------------------------

सवाल-मेरे बड़े भाई को खेत में काम करने के दौरान झांट लग गया। जिसके चलते डीम पर उजला हो गया है और आंख लाल भी हो गया है। आंख से पानी भी गिरता है और दर्द भी होता है। क्या करें?

(योगेन्द्र कुमार, किसनपुर, सुपौल)

जवाब-इसे देहाती भाषा में फुल्ला कहा जाता है। यह बीमारी धान व गेंहू के समय अधिक होता है। खेत में काम करने के दौरान गेंहू अथवा धान के शीस से आंख में झांट लगने से यह होता है। देहातों में ग्रामीण चिकित्सक के द्वारा फुल्ला के मरीज को बेटनीसोल अथवा सिप्लोक्स डी आई ड्रॉप दे दिया जाता है। लेकिन यह आई ड्रॉप फुल्ला के मरीज के लिए काफी घातक है। यह आई ड्रॉप बीमारी को बढ़ाता ही है न कि कम करता है। फुल्ला के इलाज में अधिक देरी करने पर आंख फूट कर बह भी जाता है। फुल्ला से आंख की रोशनी भी कम हो जाती है। इसलिए अपने बड़े भाई को शीघ्र चिकित्सक के पास लेकर जाएं।

-----------------------------------

सवाल-मेरे बेटे का आंख लाल हो गया है और आंख नोचता भी है, आंख से पानी आता है और गरता भी है। क्या करें?

(संतोष कुमार, सुपौल)

जवाब- यह बीमारी लम्बी चलती है। मौसम के बदलते ही आंख में धूल-कण जाने से होता है। यह बीमारी बच्चों में अधिक होती है। इसके लिए अप्रशिक्षित व्यक्ति से दवा लेना घातक भी हो सकता है। बिना चिकित्सक की सलाह से दवा न लें। रोज शाम में बच्चे के आंख को पानी का छींटा मारकर साफ करें ताकि धूल-कण आंख से बाहर निकले। चिकित्सक से मिलें।

-----------------------------------------

सवाल- मेरी बेटी की आंख लाल हो गई है और गरने की शिकायत भी है, आंख से पानी भी गिरता है। क्या करें?

(सुशील, सुपौल)

जवाब- यह वायरल कंनजंटीवाइटिश है। यह एक दूसरे से फैलने वाली बीमारी है। इसलिए बच्चे का टॉवेल व अन्य सामान अलग रखें। अगर बच्चा स्कूल जा रहा है तो स्कूल जाना तुरंत बंद कर दें। चिकित्सक से मिलें और दवा दें।

-----------------------------------------

सवाल-ग्लूकोमा कैसे होता है?

(रंजीत, सुपौल)

ग्लूकोमा आंख के पर्दे व नस की बीमारी है। इसमें नस सूख जाता है। इसमें आंख के अंदर का दबाव बढ़ जाता है जिस कारण देखने में मदद करने वाले ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है। यदि ग्लूकोमा की चिकित्सा समय रहते ना की जाए तो यह अंधेपन का कारण भी बन सकता है। यह लंबे समय तक चलने वाला रोग है अर्थात इससे होने वाला नुकसान भी धीरे.धीरे होता है। इसलिए अधिकांश लोग इसे सामान्य ²ष्टि की समस्या समझ कर ऐसे ही छोड़ देते हैं जो हानिकारक हो सकता है। ग्लूकोमा की पहचान जितनी जल्दी हो जाय उतनी अच्छी तरह उसकी रोकथाम व इलाज हो सकता है। यह अनुवांशिक भी होता है। 40 वर्ष से उपर के उम्र वाले साल में एक बार आंख के पर्दे की जांच करवाएं।

----------------------------------------

सवाल-मुझे डायबिटीज है। क्या आंख पर भी कोई असर पड़ सकता है?

(जितेंद्र कुमार, सुपौल)

जवाब- ब्लड सूगर के चलते डायबिटीक रेटीनोपेथी होने का डर रहता है। जिस व्यक्ति को पांच साल से सूगर है तो वे आंख के पर्दे की जांच अवश्य करवाएं और चिकित्सक से मिलें। जो डायबिटीक नहीं है वे भी जांच करवाएं और ब्लड सूगर को कंट्रोल रखें।

----------------------------------------

सवाल- मुझे नजदीक में कम दिखाई पड़ता है, पढ़ने में भी दिक्कत होती है। क्या मेरे आंख की रोशनी तो नहीं चली गई है?

(राजीव, सुपौल)

जवाब-40 वर्ष उम्र के बाद सबके साथ ऐसा होता है। डरने की बात नहीं है। आंख की जांच करवाएं और चश्मा लें।

--------------------------------------------

सवाल-मेरे बच्चे के आंख में रोशनी कम है। स्कूल में उसे ब्लैक बोर्ड साफ नहीं दिखाई पड़ता। क्या करें?

(दिलीप कुमार, सुपौल)

जवाब-बच्चे को लेकर चिकित्सक के पास आएं और आंख की जांच करवाएं। अगर स्कूल में किसी अन्य बच्चे शिक्षक से ब्लैक बोर्ड न दिखाई पड़ने की शिकायत करता है तो शिक्षक उसे डांटे नहीं बल्कि चिकित्सक के पास लेकर आएं और बच्चे के आंख की जांच करवाएं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.