मुख्यमंत्री नल जल योजना का हाल बेहाल, निविदा में ही उलझा रहता विभाग
राज्य सरकार के ड्रीम योजना में शामिल हर घर नल का जल योजना जिले में कछुए की चाल चल रहा है। कार्य पूर्ण या प्रगति की बात तो दूर दो वित्तीय वर्ष बीत चुका है लेकिन अभी तक इस योजना के तहत एक नल से भी जल टपक नहीं सका है। स्थिति तो ऐसी बनी है कि निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप निविदा निस्तारण का कार्य भी नहीं किया जा सका है। हालांकि 149 वार्ड में कार्य प्रगति की बात कही जा रही है।
-149 वार्ड में चल रहा है कार्य, 165 वार्ड के लिए पूर्ण कर ली गई है निविदा
-1230 वार्ड के लिए निविदा निस्तारण की तैयारी में जुटा है विभाग, 871 वार्ड के लिए बनाया गया डीपीआर
-ऐसे में कैसे मिलेगा 2529 वार्ड वाले सुपौल जिले को घर-घर नल का जल
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जागरण संवाददाता, सुपौल: राज्य सरकार के ड्रीम योजना में शामिल हर घर नल का जल योजना जिले में कछुए की चाल चल रहा है। कार्य पूर्ण या प्रगति की बात तो दूर दो वित्तीय वर्ष बीत चुका है लेकिन अभी तक इस योजना के तहत एक नल से भी जल टपक नहीं सका है। स्थिति तो ऐसी बनी है कि निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप निविदा निस्तारण का कार्य भी नहीं किया जा सका है। हालांकि 149 वार्ड में कार्य प्रगति की बात कही जा रही है। परन्तु एक भी वार्ड में इस योजना का लाभ अभी तक लोगों को नहीं मिल पाया है। इस योजना में कार्य प्रगति का ग्राफ इस कदर लुढ़का है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 तथा 2018-19 में दिए गए लक्ष्य की निविदा का कार्य चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी शत-प्रतिशत पूरा नहीं हो पाया है। जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष का लक्ष्य वैसे के वैसे पड़ा हुआ है। ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल है कि 2529 वार्ड वाले सुपौल जिले को कब तक घर-घर नल का जल मिल पाएगा।
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दो वित्तीय वर्ष में 2097 वार्ड का मिला था लक्ष्य
मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में शामिल हर घर नल का जल योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 तथा 2018-19 में जिला को 2097 वार्ड का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। लक्ष्य के विरुद्ध विभाग 149 वार्ड में निविदा निस्तारण कर कार्य प्रगति पर रहने की बात कह रहा है। 165 वार्ड के लिए निविदा निस्तारण कर लिया गया है। जबकि 1230 वार्ड के लिए निविदा निस्तारण की फिलहाल प्रकिया चल रही है। शेष 871 वार्ड के लिए डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजी गई है।
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छह पंचायत में चालू है कार्य
योजना को लागू हुए करीब दो वर्ष बीतने को है, परन्तु जिले के महज छह पंचायतों में ही कार्य प्रारंभ हो पाया है।
पीएचईडी कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार 165 वार्ड के लिए एग्रीमेंट होते ही अन्य कई पंचायतों में यह कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
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क्या है यह योजना
हर घर को नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो इसके लिए सरकार ने यह योजना वित्तीय वर्ष 2017-18 में लागू की। जिसमें लगभग 40 से 45 लाख प्रति वार्ड लागत आती है। बिजली से संचालित इस परियोजना में 5 वर्ष तक रखरखाव का जिम्मा संवेदक के अधीन ही होता है।