इलाके से गायब हुई सब्जी की खेती, दूसरे जिले पर रहना पड़ता निर्भर
जल और श्रम की इस धरती पर संभावनाओं की कमी नहीं है। इसी सोच के तहत शायद कटैया में पनबिजली उत्पादन की व्यवस्था की गई। लेकिन विभागीय उदासीनता और इच्छाशक्ति के अभाव के कारण यह परियोजना कभी अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल नहीं हो सकी। वहीं उत्तर बिहार को दुधिया रोशनी से जगमगाने और बिजली उत्पादन की महत्वपूर्ण परियोजना डगमारा परियोजना वर्षों से विभागीय औपचारिकता में ही फंसी हुई है।
-सब्जी के हब में सब्जी का अकाल, अपने को कोसते किसान
-सीपेज ने सब्जी की खेती को कर दिया चौपट, नहीं किया जा रहा समाधान
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संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल): सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में सब्जी की खेती को सीपेज ने इस कदर प्रभावित किया है कि लोग चाहकर भी सब्जी नहीं उगा पा रहे हैं। प्रखंड के उत्तरी भाग का क्षेत्र पुरानी भपटियाही, कल्याणपुर, पिपराखुर्द, सदानंदपुर, बैसा, सिमरी, नोनापार, शाहपुर पृथ्वीपट्टी, कोढ़ली आदि गांव में पहले काफी सब्जी की खेती होती थी। कोसी का पानी जब से पूर्वी बांध से सटकर बहने लगा तब से इस इलाके में सब्जी की खेती प्रभावित होने लगी । धीरे-धीरे जब खेतों में सीपेज का पानी रहने लगा तब इस इलाके से एक तरह से सब्जी की खेती गायब ही हो गई। इस क्षेत्र में जो पहले सब्जी की खेती होती थी उसे सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी, फारबिसगंज, किशनगंज, बेगूसराय, खगड़िया सहित अन्य जगहों पर भेजा जाता था। लेकिन अब लोग बाहर की सब्जी पर निर्भर होते जा रहे हैं। सब्जी पैदा करने वाले कई किसानों का कहना है कि सीपेज के कारण किसानों के हाथ से एक व्यावसायिक खेती खिसक चुकी है।
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नहीं दिख रहा कुछ निदान
इस संबंध में कुछ सब्जी उत्पादकों का कहना है कि जब तक सीपेज के पानी का स्थाई निदान नहीं होगा तब तक इस इलाके में फिर से सब्जी की खेती शुरू नहीं हो सकेगी। खेतिहरों का कहना है कि वह सभी कड़ी मेहनत करके सब्जी की खेती तो करते हैं लेकिन बीच में ही वह सीपेज के पानी की भेंट चढ़ जाती है। इससे जहां भारी नुकसान होता है वही खेत भी बेकार बना रह जाता है। किसानों का कहना है कि सरकार को इसके समाधान की दिशा में कार्य करना चाहिए।