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वर्षो से बनी समस्या, मुखिया को भी पार करना होता चार-चार चचरी

-अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती चांदपीपर के सैकड़ों लोगों की बनी है समस्या -घर तक पक्की सड़क

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 11:05 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 11:05 PM (IST)
वर्षो से बनी समस्या, मुखिया को भी पार करना होता चार-चार चचरी

-अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती चांदपीपर के सैकड़ों लोगों की बनी है समस्या

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-घर तक पक्की सड़क नहीं रहने से बाधित हो जाता विकास, चार-चचरी बना कर लोग करते आवागमन

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फोटो फाइल नंबर-12एसयूपी-11

संवाद सूत्र, सरायगढ़(सुपौल): सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के दक्षिणी छोर पर अवस्थित चांदपीपर गांव के अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती के करीब 700 लोगों को पिछले 20 वर्षों से चचरी के सहारे अपने घरों तक जाने आने की मजबूरी बनी है। रेलवे लाइन से सटे पश्चिम अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के इन लोगों के लिए सरकार की ओर से अभी तक संपर्क सड़क की व्यवस्था नहीं की गई है। सरकार जहां हर अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है, वहीं यह अनुसूचित जाति/जनजाति बस्ती सरकार के अधिकांश योजनाओं से वंचित दिखाई देती है। इस बस्ती के आगे रेलवे की जमीन होने के कारण वहां राज्य सरकार की ओर से कोई कार्य नहीं कराया जा सकता है। लेकिन बस्ती के पीछे और उत्तर से सड़क निर्माण कराने से लोग राहत महसूस कर सकते हैं। बस्ती तक सड़क की मांग बस्ती के लोग लंबे समय से करते रहे हैं, लेकिन इसे सुनने वाला कोई नहीं हुआ है। वार्ड नंबर 7 सहित इस बस्ती के लोगों को अपने-अपने घरों तक जाने के लिए जगह-जगह चचरी एक मात्र सहारा हुआ करता है। इस बस्ती के आगे फिलहाल चार चचरी बनी हैं जिससे लोग आवागमन करते हैं। गांव में कोई आपातकाल की स्थिति आने पर भी लोगों को चचरी ही मददगार हुआ करता है। पंचायत के मुखिया कारी राम भी अपने घर के सामने बनी चचरी से ही जाते आते हैं। टोले के सरोवर राम, भागवत राम, दिनेश राम, लक्ष्मण राम सहित अन्य लोग बताते हैं कि उनके घरों तक पक्की सड़क नहीं होने से विकास कार्य पूरी तरह से बाधित है। लोग बताते हैं कि पक्का घर बनाने के लिए सामग्री घरों तक नहीं ले जा पाते हैं। महिलाओं ने बताया कि घर के आगे से गुजर रहा सीपेज का पानी वर्षभर एक ही रफ्तार में बहा करता है। करीब 4 से 5 फीट गहराई होने के कारण इस पानी को लोग पैदल पार नहीं कर सकते हैं जिस कारण चचरी का सहारा लेना पड़ता है।

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बच्चों के डूबने की बनी रहती है आशंका

महिलाओं का कहना है कि उन्हें हमेशा अपने बच्चों की चिता बनी रहती है। चचरी पर आर पार करते किसी भी समय बच्चों की जान जोखिम में जा सकती है। महिलाओं का कहना है कि वह सभी गरीब परिवार की है और अपनी रोजी रोटी के लिए उन्हें मजदूरी करनी पड़ती है। ऐसे में घर के एक-एक सदस्य को बच्चों की पहरेदारी के लिए हमेशा रखना पड़ता है। महिलाओं का कहना है कि यदि सरकार चाहे तो उनके घरों तक एक सड़क का निर्माण करा सकती है। जिससे बस्ती के सारे लोगों को राहत मिलेगी और वहां के लोग भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे।


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