लाखों का राजस्व देने वाला बस पड़ाव खुद बदहाली पर आंसू बहा रहा
मिट्टी की सोंधी खुशबू की बात कुछ और ही होती है। मिट्टी से बने बर्तन जहां इस्तेमाल में एकदम बेहतर होते हैं वहीं इनसे किसी तरह के प्रदूषण का खतरा भी नहीं रहता है। लेकिन तमाम जानकारियों के बाद भी आज मिट्टी से बने बर्तन को भूलकर लोग डिब्बाबंद बोतलबंद पानी और फ्रिज पर निर्भर हो गए हैं। यहां कहना गलत नहीं होगा कि डिब्बाबंद पानी और फ्रिज के आगे देसी की चमक फीकी हो गई है। मिट्टी की शीतलता के आगे मशीन की ठंडक लोगों को खूब भा रही है। नतीजा बीमारियों को आमंत्रण मिल रहा है।
-बस पड़ाव में शौचालय व पेयजल उपलब्ध नहीं रहने से यात्रियों को होती है परेशानी
-पुराने जमाने का बना शौचालय खो चुका अस्तित्व
-बस पड़ाव स्थित बना प्रतीक्षालय खंडहर में हो चुका है तब्दील
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संवाद सूत्र, छातापुर(सुपौल): सुविधा सुरक्षा व स्वच्छता के दावे से इतर लाखों का राजस्व देने वाला छातापुर बस पड़ाव बदहाली पर आंसू बहाता नजर आता है। विशेष या आधुनिक सुविधा की बात कौन कहे यहां तो मूलभूत सुविधा भी यात्रियों को मयस्सर नहीं है। कचरा एवं मलबों से पटा शौचालय एवं पेयजल विहीन यह बस पड़ाव से यात्रा समापन या प्रारंभ करना यात्रियों के लिए किसी सजा से कम नहीं है। छातापुर बाजार के बीचोंबीच स्थित बस पड़ाव का प्रतीक्षालय खंडहर में तब्दील हो गया है। पुराने जमाने का बना शौचालय अपना अस्तित्व कब का खो चुका है। शौचालय के आगे दरवाजे पर कूड़े का ढेर लगा है। जबकि प्रतिदिन अन्य प्रदेशों सहित देश के कई हिस्सों में दर्जनों यात्री वाहन इस ओर होकर गुजरते हैं। सम्पूर्ण बस पड़ाव जलमीनार बना है। बस पड़ाव में जलजमाव पानी एवं बदबू यात्रियों का अपने दुर्गंध से स्वागत करता है। जिसमें सालों भर नाले का गंदा पानी बहकर जमा होता है। बस पड़ाव के सामने सड़कों पर नाले का पानी सालों भर बहता है जो पड़ाव को नारकीय बना रहा है। यहां दस मिनट रुककर इंतजार करना दूर इस ओर से जाने वाले यात्री एवं राहगीर भी नाक पर रूमाल रखकर गुजरते हैं। बस पड़ाव में आने जाने वाले यात्री का पैर कीचड़ से सन जाता है।
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शौचालय, पेयजल तक नसीब नहीं
बस पड़ाव में आधुनिक सुविधा की बात छोड़िए यात्रियों के लिए पेयजल तक की व्यवस्था नहीं है। शौचालय की बात कौन कहे महिला यात्रियों के लिए प्रसाधन तक नहीं है। महिला यात्रियों को यहां काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। बस पड़ाव तो छोड़िए पूरे बाजार में सामुदायिक शौचालय कहीं नहीं है।
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लाखों में राजस्व देता है बस पड़ाव
छातापुर बस पड़ाव का डाक प्रतिवर्ष लाखों में हो रहा है। इसके अलावा प्रतिदिन सैकड़ों यात्री वाहन इस होकर गुजरते हैं जो रोड परमिट एवं यात्री टैक्स के नाम पर लाखों का राजस्व जमा करते हैं। बावजूद इसके यहां की बदहाली की चिता किसी को नहीं है। कभी किसी ने बस पड़ाव की सुधि नहीं ली। जनप्रतिनिधि पदाधिकारी सबके सब उदासीन बने हुए हैं।
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