टोले में पैदल जाना भी है मुश्किल, सड़क की है दरकार
बुद्ध जयंती के अवसर पर स्थानीय मध्य विद्यालय खरैल पुनर्वास में अहिसा संवाद में श्वास लेने के तरीके और अहिसा गीत के उपरांत महात्मा बुद्ध के प्रति कृतज्ञता का स्मरण करते हुए समझकर करो के जीवन गुर से बच्चों को अवगत कराया गया। प्रकृति के नियम और उसकी विभिन्न अवस्थाओं जैसे पदार्थावस्था प्राणावस्था जीवावस्था और ज्ञानावस्था पर प्रकाश डालते हुए सबके बीच पारस्परिक संबंध और पूरकता से बच्चे अवगत हुए।
-कंधे के सहारे मरीजों को पहुंचाया जाता है अस्पताल
संवाद सूत्र, राघोपुर(सुपौल): सरकार ने 250 की आबादी वाले गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने की कवायद शुरू की। प्रखंड के अधिकांश गांव में पक्की सड़कों का जाल बिछाया गया लेकिन निर्मल पंचायत हुलास के करीब ढाई हजार की आबादी वाले गांव कैंगर भरना टोला को देखने से यह एहसास हो जाता है कि इस गांव का जमीनी स्तर पर कितना विकास हुआ है। इस गांव की बदहाली से ये पता चलता है कि दावे तो खूब हो रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है। ग्रामीण सड़कें इस कदर बदतर है कि वाहन की कौन कहे पैदल चलकर भी इस टोले जाना मुश्किल है। यही कहानी तीन हजार की आबादी वाले बिचारी गांव के वार्ड नंबर 13 व 14 की है। आज भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं लेकिन व्यवस्था में बैठे रहनुमाओं को इनकी टीस नहीं दिखाई देती है। यहां की कच्ची व गड्ढे में तब्दील सड़क की तस्वीर कुछ इस कदर है कि ग्रामीण भेंगा धार के बांध के सहारे अपने गांव से निकलकर अन्यत्र जाते हैं। चाहे पंचायत मुख्यालय जाना हो या प्रखंड मुख्यालय या अन्य जरूरी के कार्य से बाजार जाना हो या फिर अस्पताल। इसके लिए भेंगा धार का बांध ही एक मात्र सहारा है।
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कहते हैं ग्रामीण
कैंगर भरना टोला वार्ड नंबर 10 के देवनारायण यादव ने कहा कि कई सांसद व विधायक ने गांव की तस्वीर बदलने का वादा किया लेकिन कुछ नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि इस गांव की प्रमुख समस्या यातायात है। सड़क के लिए गांव के लोग कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर विभागीय अधिकारी तक को अवगत कराया लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हुए। लोगों ने कहा कि जब कोई बीमार पड़ जाता है तो कंधे के सहारे ही अस्पताल ले जाना पड़ता है। सड़क नहीं रहने के कारण कोई वाहन टोला तक नहीं जाता है। सड़क की समस्या के कारण इस गांव में लोग अपने बेटी-बेटा की शादी करना नहीं चाहते हैं।