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आखिर कैसे धरे धीर जब कुदरत हो बेपीर

चुनाव की तारीख ज्यों-ज्यों निकट आती जा रही है सारा सिस्टम चुनावी मोड में आता जा रहा है। हर बैठक चौपाल में देश की अंदरुनी नीति विदेश नीति अतीत की स्थिति वर्तमान हालात सब पर तर्कसंगत चर्चा। प्रधानमंत्री से लेकर अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि तक की पूरी समीक्षा से भी बाज नहीं आ रही जनता। पुलवामा की घटना से बात शुरु होती है और अभिनंदन पर खत्म। अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का पूरा पोस्टमार्टम। मोदी का ओजराहुल के बोलदीदी के तेबरतेजस्वी के तेज यानी सब पर बहस

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 12:44 AM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 12:44 AM (IST)
आखिर कैसे धरे धीर जब कुदरत हो बेपीर

-हर साल किसानों के ऊपर टूटता कहर, मुआवजे के नाम पर होती खानापूर्ति

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फोटो फाइल नंबर-7एसयूपी-10

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार(सुपौल): कोशी के कछार में बसे वीरपुर अनुमंडल क्षेत्र के किसानों की किस्मत ही शायद खोटी है। हर साल कुदरत का कहर किसानों पर किसी न किसी रूप में बरस ही जाता है। कभी सूखा कभी मूसलाधार बारिश तो कभी ओलावृष्टि के साथ बेमौसम बरसात किसानों के सपने को चकनाचूर कर जाते हैं। अब इस बार रबी की फसल अच्छी देख किसानों की बांछें खिल रही थी। उन्हें शायद ही यह आभास था कि उनके खून-पसीने की मेहनत पर प्रकृति कहर बरपाने वाला है, लेकिन गत 10 दिनों से कुछ-कुछ दिनों के बाद इंद्रदेव के रौद्र रूप ने किसानों को रुला दिया है। बारिश के चलते किसानों में इन दिनों भारी हताशा है। क्षेत्र के किसान ज्योति कुमार झा, प्रो. शिवनंदन यादव, रामलखन भारती, महानंद झा, जयप्रकाश मिश्र, सतीश मिश्र, विश्वम्भर साह, अशोक झा, ललन गुरुमैता, अशोक कुंवर, कुसुमलाल मेहता आदि ने बताया कि इस क्षेत्र के लोगों के लिए खेती-किसानी अच्छी नहीं है। कभी कुदरत की मार तो कभी नहरों और नलकूपों के साथ खाद-बीज न मिलने की समस्या बनी ही रहती है। किसानों के लिए खेती जुआ हो गई है। करजाईन, मोतीपुर, रतनपुर, परमानंदपुर, बायसी, भगवानपुर आदि पंचायतों के किसानों

ने बताया कि इस बार गेंहू की फसल अच्छी है। लेकिन जब फसल पक कर तैयार हुआ तो कुदरत ने अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया है। किसानों ने बताया कि अगर कुदरत अब भी मेहरबान रहा तो अच्छी उत्पादन होगी। लेकिन किस्मत में तो कुछ और ही लिखा है। अप्रैल माह के शुरूआती दिनों से ही शुरू हुई आंधी-बारिश से किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ा है। गेंहू, सरसों एवं सूर्यमुखी की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। लगातार मौसम में भारी फेर बदल ने किसानों की कमर तोड़ दी है। शनिवार की सुबह एवं रात में तेज हवा के साथ हुई बारिश किसानों के अरमानों को चकनाचूर करने पर तुला हुआ है। किसान जी तोड़ मेहनत कर गेहूं की फसल तैयार करने में जुटे हैं, लेकिन कुदरत का ऐसा खेल शुरू हो गया है कि बेचारे किसान मायूस हैं। खलिहान में कटकर रखी गेहूं की फसल के साथ-साथ खेतों में पककर तैयार गेंहू, सरसों व सूर्यमुखी की फसलों को बारिश के चलते नुकसान हो रहा है।

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उठने लगी उचित मुआवजे की मांग

प्रकृति की मार से बेहाल किसानों ने बताया कि हर बार प्राकृतिक आपदा के बाद सरकार किसानों को मुआवजा देने की घोषणा तो कर देती हैं। लेकिन व्यवस्था में बैठे लोग बर्बाद किसानों के आंसू पोछने में अड़ंगा बन जाते हैं।

क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि गत 10 दिनों के अंतराल में आंधी व बारिश से हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को मुआवजे देने की मांग शुरू कर दी है। इन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के किसानों की दयनीय हालत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल किसानों को उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।


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