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भातृ द्वितीया: बहना ने की भैया के दीर्घायु की कामना

सुपौल, जागरण प्रतिनिधि: भातृ द्वितीया के मौके पर शनिवार को बहना ने अपने भाईयों को तिलक लगाया, पूजा क

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 06:12 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 06:12 PM (IST)
भातृ द्वितीया: बहना ने की भैया के दीर्घायु की कामना

सुपौल, जागरण प्रतिनिधि: भातृ द्वितीया के मौके पर शनिवार को बहना ने अपने भाईयों को तिलक लगाया, पूजा की और भाईयों के लंबी उम्र की कामना की। भातृ द्वितीया कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इसमें हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिये आशीष देती है। भाई अपने बहनों को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिये कामना करती है। इस त्योहार के पीछे एक किंवदन्ती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी को इसी दिन दर्शन दिया था जो बहुत समय से उससे मिलने के लिये व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमी ने प्रफुल्लित मन से उसकी आव भगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जायेगी। इसी कारण इस दिन यमुना नदी में भाई बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है हर भाई अपनी बहन के घर जायें। तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा चली आ रही है। जिनकी बहनें दूर रहती है वे भाई अपनी बहनों से मिलने भाई दूज पर अवश्य जाते हैं और उनसे टीका कराकर उपहार आदि देते हैं। बहनें पीढि़यों पर चावल के घोल से चौक बनाती है, इस चौक पर भाई को बैठाकर उनके हाथों की पूजा करती है। पूजा के दरम्यान भाई के दीर्घ आयु की कामना करती है। मौके पर भाई का मुंह मीठा कराती है।

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मिथिलांचल में इस पर्व के मनाने की परंपरा ऐसी हो चली है कि हर भाई अपनी बहन के घर संदेश लेकर जाता ही है और बहना विश्वास के साथ अपने भाई के आगमन का बाट निहारती है।


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