मैरवा को यूपी से जोड़ने वाली सड़क के जीर्णोद्धार को गांधीगिरी
उत्तर प्रदेश को बिहार से जोड़ने वाली मैरवा-प्रतापपुर सड़क जर्जर ।
सिवान। उत्तर प्रदेश को बिहार से जोड़ने वाली मैरवा-प्रतापपुर सड़क मार्ग में बिहार के अधीन पड़ने वाली सड़क का हिस्सा काफी जर्जर हो चुका है। मैरवा रेलवे स्टेशन के पश्चिमी रेलवे ढाला से स्याही पुल तक सड़क की स्थिति नारकीय हो चुकी है। स्याही पुल के आगे सड़क उत्तर प्रदेश के क्षेत्राधीन है और उसका चौड़ीकरण कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन बिहार के हिस्से की सड़क की हालत देख इससे गुजरने वालों को रोना आता है। सड़क निर्माण के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग मिलकर कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं। अब मैरवा से स्याही पुल तक सड़क निर्माण के लिए आंदोलन को गांधीगिरी का रूप दिया गया है। उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र के 72 वर्षीय दयानंद प्रसाद ने सत्याग्रह के रास्ते पर चलकर स्याही पुल के दोनों तरफ स्थित यूपी और बिहार के सीमावर्ती गांव में जनसंपर्क अभियान चलना शुरू किया है। वे अपने गले में दफ्ती लटका कर मैरवा बाजार में घूम रहे हैं और लोगों से हाथ जोड़कर मैरवा से स्याही पुल तक सड़क और जर्जर इस पुल के जीर्णोद्धार के लिए सड़क पर उतरने का अनुरोध कर रहे हैं। तख्ती पर लिखा है - जनजन की पुकार सड़क निर्माण करो निर्माण ।
दयानंद के इस गांधीगिरी की खूब चर्चा हो रही है। वे छात्र जीवन से ही जन समस्याओं के लिए संघर्ष करते रहे हैं। विदित हो कि विगत वर्ष
बिहार और यूपी के लोग मिलकर इस पुल की मरम्मत के लिए सड़क जाम भी किया था, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही। इसी तरह मैरवा से रामपुर बुजुर्ग जाने वाली मझौली रोड की स्थिति भी बहुत खराब है। इस सड़क से होकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद यूपी क्षेत्र की सड़कें चौड़ी की जा रही है, लेकिन बिहार क्षेत्र के अधीन मझौली रोड काफी जर्जर है। दोनों सड़कें बिहार एवं यूपी के सीमावर्ती लोगों के बीच रिश्तों की डोर के रूप में सदियों से बांधे हुए है। हर साल सैकड़ों बारात इस सड़कों से होकर एक राज्य से दूसरे राज्य में गुजरती है और वैवाहिक रिश्ते कायम होते हैं। इतना ही नहीं बिहार के सीमावर्ती गांव नगर पंचायत मैरवा के सकरा और नवकाटोला, बड़गांव पंचायत के कई गांव के लोगों की जमीन स्याही पुल के दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की सीमा में है। खेती के लिए यहां के किसान इस पुल के सहारे ही अपने खेतों तक पहुंचते हैं। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के रामपुर प्रतापपुर चीनी मिल में सिवान के पश्चिमी क्षेत्रों के किसानों का गन्ना जर्जर स्याही पुल से होकर जाता है। आजादी के बाद से अबतक इस पुल की मरम्मत नहीं हुई है।अब देखना है कि दयानंद की गांधीगिरी क्या गुल खिलाती है।