ईद की खरीदारी को बाजार में बढ़ी चहल-पहल
लॉकडाउन के कारण रमजान के महीने में कपड़े की दुकानें बंद रहने से कारोबारियों से लेकर खरीदार तक मायूस थे। सरकार द्वारा अंतत कपड़े व जूते-चप्पल की दुकानों को शर्ताें के साथ खोलने की अनुमति देने के बाद बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है।
सिवान । लॉकडाउन के कारण रमजान के महीने में कपड़े की दुकानें बंद रहने से कारोबारियों से लेकर खरीदार तक मायूस थे। सरकार द्वारा अंतत: कपड़े व जूते-चप्पल की दुकानों को शर्ताें के साथ खोलने की अनुमति देने के बाद बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। जिला प्रशासन द्वारा दुकानों को खोलने के लिए दिनवार समय भी निर्धारित कर दिया गया है। लोगों में इस बात की खुशी है कि कम से कम ईद के पहले खरीदारी का मौका मिल गया है। इससे बाजार भी गुलजार हो गया है। राहत के बाद शनिवार को जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों की बाजारों में व्यवस्थित ढंग से दुकानें खुलने और कारोबार पटरी पर आने से व्यवसायियों के चेहरे पर मुस्कुराहट लौटने लगी है। हालांकि बिना मास्क व अन्य किसी सुरक्षा के सामान की खरीदारी को लेकर ग्राहकों का भीड़ उमड़ी रही। लॉकडाउन नियमों का पालन करते हुए लोगों को खरीदारी करने का छूट दी गई है, लेकिन खरीदारों की भीड़ इस तरह बाजार में उमड़ पड़ी जैसे कोरोना वायरस का कही कोई खतरा ही नही रहा। ग्राहकों के चेहरा पर ना मास्क दिखा और ना ही गमछा या रुमाल देखने को मिला। बाजार में सभी ग्राहक सामान की खरीदारी में शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहे। सेवई, लच्छा, इत्र, सुरमा, कपड़ा टोपी, रुमाल, खजूर, फल, चप्पल, जूता आदि दुकानों से गुलजार रहनेवाला शहीद सराय, दरबार रोड व बड़ी मस्जिद बाजार में लॉकडाउन की वजह से खरीदारों की भीड़ कम रह रही है। दर्जनों सेवई लच्छा की दुकानों के बदले में एक-दो दुकान मुश्किल से लगी है। इसमें खरीदार नहीं के बराबर पहुंच रहे हैं।
ईद की खरीदारी पर लगा लॉकडाउन का ग्रहण :
दुकानदार रहमान अंसारी ने बताया कि लॉकडाउन से खुशी पर ग्रहण लग गया है। बाजार की रौनक छिन सी गई है। रमजान और ईद के समय अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण सब कुछ बर्बाद हो गया है। ईद के समय में 20 से 25 किस्म का लच्छा और सेवई बाजार में होती थी। इसी प्रकार सुरमा भी नहीं के बराबर बाजार में पहुंचा है। लोग रमजान में खुशबू के लिए तरस गए। ईद के समय में इत्र, सुरमा, टोपी, रुमाल की दुकानें भी नहीं के बराबर हैं। कपड़ा, चप्पल-जूता का बाजार चौपट हो गया है। कपड़ा, चप्पल और जूता के व्यवसायियों का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है।