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Bihar Politics: पहले पप्पू और अब शहाबुद्दीन की पत्नी, इस सीट पर भी बिगड़ेगा लालू का MY फैक्टर?

Bihar Political News in Hindi लालू यादव की टेंशन कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ पूर्णिया सीट से पप्पू यादव ने नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ राजद के पूर्व बाहूबली सांसद की पत्नी ने भी लोकसभा के चुनावी महासमर में उतरने का एलान कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह राजद के लिए किसी झटके से कम नहीं है।

By Kirti Kumar Pandey Edited By: Mohit Tripathi Published: Thu, 04 Apr 2024 04:39 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2024 04:39 PM (IST)
लालू यादव के एमवाई समीकरण में सेंध लगाएंगी शहाबुद्दीन की पत्नी। (फाइल फोटो)

कीर्ति पांडेय, सिवान। सिवान में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होना है। मतदान में अभी काफी समय है लेकिन इस सीट को लेकर राजनीति के गलियारे में चर्चाएं उस समय तेज हो गईं, जब दिवंगत पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने स्वयं को निर्दलीय प्रत्याशी बता चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

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हिना शहाब इस चुनाव में जीत हासिल कर अपने पति की खोई विरासत को तो पाना चाहती हैं। इसके साथ ही वह इशारों ही इशारों में एक तरह से राजद को संदेश भी देना चाहती हैं।

यही कारण है कि सिवान में एमवाई समीकरण के आधार पर 90 के दशक से राजनीति करती आई राजद अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं कर सकी है। हालांकि सिवान संसदीय सीट 2009 के बाद से ही राजद के हाथ से फिसल चुका है और यहां एनडीए ने अपनी जीत का परचम लहराया है।

इस सीट की महत्ता को इसी से समझा जा सकता है कि एनडीए की घटक दल जदयू ने वर्तमान सांसद कविता सिंह को टिकट नहीं दिया और हिना शहाब का काट तलाशते हुए जीरादेई के पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी विजय लक्ष्मी को महिला प्रत्याशी के रूप में यहां से मौका दिया।

बता दें कि हिना शहाब के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कयास तो मो. शहाबुद्दीन की कोरोना से मौत के बाद ही लगाए जाने लगे थे। उनकी मौत के बाद हिना शहाब और राजद के बीच दूरी बनती चली गई और नतीजा हुआ कि इस बार के लोस सीट पर एक कार्यक्रम के दौरान हिना शहाब ने अपने को किसी दल का नेता नहीं बता दिया।

मतदाताओं को सभी प्रत्याशियों का इंतजार

प्रत्याशियों की घोषणा में सबसे पहले एनडीए ने बाजी मारी और हिना शहाब के निर्दलीय चुनाव लड़ने के साथ महिला को ही यहां से प्रत्याशी बनाया। जदयू ने वर्तमान सांसद कविता सिंह पर विश्वास ना जताते हुए विजय लक्ष्मी को प्रत्याशी बनाया।

विजय लक्ष्मी जीरादेई की पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी हैं। रमेश सिंह कुशवाहा जदयू के पहले सीपीआई के सक्रिय नेता थे और 1996 में शहाबुद्दीन के खिलाफ सीपीआई से चुनाव भी लड़ चुके हैं।

एनडीए को उम्मीद है कि वह कैडर वोटरों के साथ ईबीसी, अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का मत लेकर जीत हासिल कर लेगी। इसके बाद हिना शहाब ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की।

उनका दावा है कि उन्हें हर वर्ग का साथ है,वहीं महागठबंधन द्वारा प्रत्याशी के नाम पर आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं की गई है। ऐसे में मतदाताओं को सभी प्रत्याशियों के नाम का इंतजार है।

बिखरे एमवाई समीकरण को बांधे रहने की चुनौती

हिना शहाब का निर्दलीय चुनाव लड़ना एक तरह से राजद और उनके लिए बड़ी चुनौती के समान है, क्योंकि जनता दल ने जब 1996 में इस सीट से शहाबुद्दीन को अपना प्रत्याशी बनाया था तो लालू यादव ने यहां मुस्लिम वोटरों के साथ ओबीसी विशेषकर यादव जाति को लेकर समाज में एक समीकरण एमवाई (मुस्लिम-यादव) को बढ़ावा दिया।

2009 से 2019 तक हिना शहाब राजद के बैनर तले प्रत्याशी रहीं। इस दौरान एमवाई समीकरण का जादू चला लेकिन उन्हें जीत नहीं दिला सका। इस बार निर्दलीय आकर हिना शहाब को हर वर्ग का वोट समेटना चुनौती है तो राजद के लिए मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ लुभाना भी टेढ़ी खीर की तरह है।

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