नाम राजा ¨सह कॉलेज, शिक्षक के मामले में भिखारी
जयप्रकाश विश्वविद्याल छपरा से अंगीभूत राजा ¨सह महाविद्यालय की स्थिति शिक्षकों को लेकर क
सिवान। जयप्रकाश विश्वविद्याल छपरा से अंगीभूत राजा ¨सह महाविद्यालय की स्थिति शिक्षकों को लेकर काफी दयनीय है। यहीं साढ़े तीन हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए मात्र नौ शिक्षक हैं। भला हो प्राचार्य उदय शंकर पांडेय का, जो व्यक्तिगत रूप से अनुनय-विनय करके नेट उत्तीर्ण तथा पीएचडी धारकों को बुलाकर किसी तरह के कक्षाओं को संचालित करवाते हैं। इसके एवज में उनको कॉलेज के अंतरिम फंड से आने-जाने का मात्र किराया देते हैं।
प्रि¨सपल उदय शंकर पांडेय का कहना है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार लिखा गया है लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है। इस कॉलेज में इंटर से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई होती है। प्रैक्टिकल का आलम यह है कि यहां पांच-छह वर्ष के कोई रसायन आया ही नहीं। जबकि लैब में सारे सामान मौजूद हैं। यहां इतिहास, भूगोल, उर्दू, संस्कृत, रासायन शास्त्र, गणित, जीव विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। सिर्फ अंग्रेजी के लिए दो शिक्षक हैं। अर्थशास्त्र, ¨हदी तथा मनोविज्ञान के लिए दो-दो के स्थान पर एक-एक शिक्षक ही हैं। कुल मिलाकर यहां एक महिला तथा आठ पुरुष शिक्षक हैं।
प्राचार्य ने बताया कि जिन-जिन विषयों में शिक्षक नही हैं, उनके लिए स्थानीय शिक्षक जो नेट और पीएचडी पास हैं, उनको अपने एवं महाविद्यालय के अंतरिम सोर्स से आने-जाने के लिए किराया मात्र दिया जाता है। इससे सभी विषयों की पढ़ाई आसानी से होती है। हालांकि शिक्षकों की कमी का असर छात्र संख्या पर स्पष्ट दिखता है। मौजूदा सत्र संस्कृत में 32 के स्थान पर एक, ¨हदी में 32 के स्थान पर तीन तथा अंग्रेजी में 32 के स्थान पर एक, भूगोल में 32 के स्थान पर 32, इतिहास में 96 के स्थान पर 96, राजनीति शास्त्र में 64 के स्थान पर 24,अर्थशास्त्र में 64 के स्थान पर 12, मनोविज्ञान में 64 के स्थान पर 64, दर्शनशास्त्र में 32 के स्थान पर चार, भौतिकी में 48 के स्थान पर 24, रसायन शास्त्र में 48 के स्थान पर 14, गणित में 48 के स्थान पर 34, जीव विज्ञान में 48 के स्थान पर 39 तथा वनस्पति
विज्ञान में 32 के स्थान पर मात्र शून्य नामांकन है।
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बोले प्राचार्य
यह महाविद्यालय जेपी विश्वविद्यालय से संबद्ध है। हम लोगों के हाथ में कुछ भी नहीं है। हमारे स्तर से जो भी होता है, मैं छात्रहित के लिए करता हूं। महाविद्यालय परिवार छात्र-छात्रओं को किसी भी तरह का परेशानी नहीं होने देता है।
-उदय शंकर पांडेय, प्राचार्य