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अपना ख्याल रखते हुए मन लगाकर करें पढ़ाई: एसपी

दैनिक जागरण इस बार बाल दिवस को लेकर स्कूली छात्रों ने पूछे कई सवाल ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 09:41 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 09:41 PM (IST)
अपना ख्याल रखते हुए मन लगाकर करें पढ़ाई: एसपी
अपना ख्याल रखते हुए मन लगाकर करें पढ़ाई: एसपी

इंट्रो: दैनिक जागरण इस बार बाल दिवस को लेकर स्कूली छात्रों और जिले के वरीय अधिकारियों के बीच बाल संवाद का कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। यह कार्यक्रम दैनिक जागरण अपने सात सरोकार में शामिल शिक्षित समाज के तहत कर रहा है। इस कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में एसपी एनसी झा और स्कूली छात्रों संग बाल संवाद का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में जेके कान्वेंट स्कूल से आए छात्रों ने एसपी से अपने कैरियर सहित उनके कार्य करने के तरीकों के बारे में खुलकर संवाद किया। एसपी ने कहा कि आइपीएस बनने के बाद पहला अवसर है जब छात्र-छात्राओं के साथ इंटरटैक्ट हो रहा हूं। छात्र-छात्राओं के प्रश्नों का एसपी ने बहुत ही सहज और नम्रता के साथ जवाब दिया। बच्चों से संवाद के दौरान अपनी छात्र-जीवन से लेकर आइपीएस तक के सफर को बच्चों के साथ खुलकर साझा किया। साथ ही छात्रों को सफलता के कई टिप्स दिए। प्रश्न : आपके जीवन में आइडियल कौन है ? प्रिया कुमारी, वर्ग सात

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उत्तर : मेरे जीवन में स्कूली समय में स्वामी विवेकानंद आइडियल हैं। बाद में मैंने महान दार्शनिक जीतू कृष्णमूर्ति को अपना आदर्श माना। मैंने उनकी हर लिखी हुई किताबों को पढ़कर उनके आदर्शों को जीवन में उतारने की कोशिश की। साथ ही साथ शरतचंद्र चटोपाध्याय की पुस्तकें पढ़ने में ज्यादा आनंद मिलता था। प्रश्न : अपना लक्ष्य हम कैसे प्राप्त कर सकते हैं ?

हेमंत कुमार, वर्ग दशम

उत्तर : सबसे पहले तो हमें लक्ष्य निर्धारित करना होंगे। साथ ही साथ यह आपको पता होना चाहिए कि आप क्या नहीं कर सकते हैं। उस काम को कभी न करें। यह गलतफहमी तो कभी नहीं पालनी चाहिए कि मै पांच साल में इसकी तैयारी कर यह कर सकता हूं। अपना एक लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए, तभी हम किसी भी सूरत में इसकी प्राप्ति कर पाएंगे।

प्रश्न : जीवन में एक अच्छे मित्र की अहमियत क्या है ? उमंग श्रीवास्तव, वर्ग सात

उत्तर : जीवन में अच्छे मित्र की अहमियत ज्यादा है। अच्छे मित्र हमेशा आपकी बातों को सुनेंगे व खुलकर बातें करेंगे। अच्छे दोस्त के पास आपके दोस्त बने रहने का कोई और उद्देश्य नहीं होता है। प्रश्न : जब आप कहीं जाते हैं तो क्यों बच्चे आपकी वर्दी देखकर डर जाते हैं और बड़े अनुशासन में आ जाते हैं ? मुस्कान यादव, वर्ग आठ

उत्तर : लोगों के अंदर अनुशासन होनी चाहिए डर नहीं। चूंकि हमलोग बचपन से ही अपने बच्चों को डराने का काम करते हैं कि ऐसा नहीं करोगे तो पुलिस पकड़कर ले जाएगी। इससे बच्चों के अंदर वर्दी को देखते ही डर बन जाता है। वहीं जब हम कहीं भी जाते हैं तो बड़े लोग अनुशासन में आ जाते है। प्रश्न : आपने यह जॉब कब और क्यों चुना ? अमान फारूक, कक्षा सात

उत्तर : मेरी पहले से ही आइआइटी करने की इच्छा थी। बस मैंने ठान लिया कि मुझे कुछ बनना है और अच्छा बनना है।

प्रश्न : क्या आप भी बचपन में जिद्दी थे ?आयुष कुमार, वर्ग छह

उत्तर : मुझे खेलना बहुत ही पसंद था। इसलिए हमेशा मुझे खेलने की जिद्द रहती थी। बचपन में मुझे टीवी पर फिल्में देखने का शौक था। खेलने के लिए तो मैं कभी कभार अपने दोस्तों के साथ क्लास भी बंक मार देता था।


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