पहली कक्षा : चारपाई पर बैठा ग्रामीणों ने कहा कि अगले दिन से मत आना
मैंने प्रथम योगदान दरौली प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय डीहू टोला में किया था।
मैंने प्रथम योगदान दरौली प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय डीहू टोला में किया था। मैं अपने गांव से 12 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर विद्यालय पहुंचा। ग्रामीण मुझे चारपाई पर बैठा कर बोले कि आप पहली बार मेरे गांव में आए हैं। कई शिक्षक पढ़ाने के लिए आए सभी को लौटा दिया गया। आप भी कल से यहां पढ़ाने मत आइएगा। ग्रामीणों की बात सुनकर मैं वापस गांव लौट गया, दूसरे दिन इसकी जानकारी शिक्षा पदाधिकारी को दी। उसके बाद उन्होंने मेरा योगदान दरौली स्थित चरवाहा विद्यालय में कर दिया। चरवाहा विद्यालय का नाम उस वक्त सुर्खियों में था। देश-विदेश के कई नामी संस्थाओं द्वारा इस अनूठी योजना की सराहना की गई थी। विद्यालय में पहला दिन वर्ग दो में पढ़ाने गया तो देखा कि बच्चे अपने-अपने साथ अपनी बकरी, भेड़ एवं गाय लेकर आए हैं। सभी छात्र पशुओं को मैदान में चारा खाने के लिए छोड़ दिए थे। बच्चों से परिचय किया और उनको 1 से लेकर 100 तक गिनती पढ़ाया। इसके बाद बच्चों को कुछ न कुछ पढ़ने के लिए प्रेरित करता रहा। संजय कुमार श्रीवास्तव, सहायक शिक्षक
राजकीय मध्य विद्यालय असांव, आंदर (सिवान)