पहली कक्षा : योगदान देने के बाद चार दिन तक किसी वर्ग में पढ़ाने नहीं गया था
जब मैंने वर्ष 2012 में दरौली प्रखंड क्षेत्र के केवटलियां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में किया योगदान ।
जब मैंने वर्ष 2012 में दरौली प्रखंड क्षेत्र के केवटलियां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सहायक शिक्षक के पद पर योगदान किया तो चार दिन किसी भी वर्ग में बच्चों को पढ़ाने नहीं गया, क्योंकि मैं सहरसा जिला का निवासी होने के कारण थोड़ा भाषा समझने का प्रयास कर रहा था। भाषा का अंतर होने के कारण बच्चों के बीच ठीक से पढ़ाने में असहज महसूस कर रहा था। पांचवें दिन मैं वर्ग चार के बच्चों को ¨हदी पढ़ाने गया। भाषा का अंतर होने
के कारण बच्चों को पढ़ाने में काफी झिझक हो रही थी, लेकिन धीरे-धीरे पढ़ाने के बाद झिझक समाप्त हो गई। धीरे-धीरे मैं इस क्षेत्र की देहाती भाषा
भोजपुरी मुझे समझ में आने लगी। बच्चे भी हमारी भाषा ठीक से समझने लगे थे। इससे मेरा उत्साह बढ़ा। यहां लगभग छह-सात वर्ष पढ़ाते हुए हो गया। आज मैं इस विद्यालय का प्रभारी प्रधानाध्यापक हूं। परमानंद ¨सह, प्रभारी प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय केवटलियां, दरौली (सिवान)