हिदी हैं हम, वतन है हिदुस्तां हमारा, आइए हम अपनी राष्ट्रभाषा की समृद्धि का लें संकल्प
भारत की राजभाषा हिदी है। सोसायटी में कई ऐसे लोग हैं जिनकी अंग्रेजी अच्छी है। इसके बावजूद ये हिदी में काम करते हैं। हिदी में बोलते हैं। यहां तक कि हिदी में कई किताबें भी लिख चुके हैं। प्रख्यात लेखिका आशा प्रभात भी उनमें एक हैं। वह समाज के लिए प्रेरक हैं।
सीतामढ़ी । भारत की राजभाषा हिदी है। सोसायटी में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी अंग्रेजी अच्छी है। इसके बावजूद ये हिदी में काम करते हैं। हिदी में बोलते हैं। यहां तक कि हिदी में कई किताबें भी लिख चुके हैं। प्रख्यात लेखिका आशा प्रभात भी उनमें एक हैं। वह समाज के लिए प्रेरक हैं। इन्हें हिदी पर गर्व है। उन्होंने कहा कि हिदी के उन्नयन और प्रसार को लेकर स्थानीय स्तर पर अभी और गंभीर होने की जरूरत है। दफ्तरों में आजादी के इतने सालों बाद भी अंग्रेजी का चलन कम नहीं हो रहा है। सारी अच्छी किताबें और पत्रिकाएं अंग्रेजी में ही आती हैं। 14 सितंबर को स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी हिदी दिवस बड़े ही हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। हिदी सिर्फ हमारी मातृभाषा ही नहीं बल्कि हमारी पहचान भी है। आइए आज हिदी दिवस के अवसर पर अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी के अधिक से प्रचार-प्रसार-विस्तार का प्रण लें। ---------------------------------------- हिदी बोलने में हिचक कैसी, गर्व से कहो हम हिदी हैं..
पुरानी एक्सचेंज रोड सीतामढ़ी के निवासी राजेंद्र प्रसाद की पुत्री रीया चौधरी अभी 10वीं में पढ़ती हैं। रिया का कहना है कि हिदी बोलने में हिचक कैसी, गर्व से कहो हम हिदी हैं। गुदरी बाजार निवासी अविनाश कुमार सिन्हा की पुत्री स्तुति और कपरौल रोड, सीतामढ़ी के निवासी सुनील कुमार के पुत्र शौर्यम गुप्ता दोनों ही अभी पहली कक्षा में हैं। उनका कहना है कि हमें घर-परिवार और स्कूल में अंग्रेजी के साथ हिदी भी उतने ही प्यार से सीखाई जाती है और उससे प्रेम करने की शिक्षा दी जाती है। हम लोग हिदी भाषा को बेहद करते हैं। आरडी पैलेस इंदिरा नगर के पीछे प्रभात निकुंज, वार्ड-18 के निवासी अजय कुमार चौबे की पुत्री स्नेहा राज ग्रेजुएशन फर्स्ट पार्ट में है। उसका कहना है कि आज बेशक हम कई सारी भाषाओं पर महारत हासिल करना चाहते हैं। जिसमें इंग्लिश बोलना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है, लेकिन क्या यह सच नहीं है कि बहुत कुछ सीखने की चाह में हमने अपने वजूद से बहुत ज्यादा दूरी बना ली है। आज हमारे देश कई लोग हैं जो खुद को हिदुस्तानी बोलते हैं लेकिन, हिदी नहीं बोल पाते। ये कैसी प्रसिद्ध है जिसमें हम अपनी बुनियाद से दूरी बनाकर महलों को सजाना चाहते हैं। रुन्नीसैदपुर के गौरीगामा वार्ड नंबर-14 निवासी अमरनाथ शाही की पुत्री सोनाली शाही बताती है कि आज बेशक हम अपने देश में हिदी को उतना महत्व न देते हों पर भारत की सरजमी से दूर बसें भारतीय किसी अन्य को हिदी में बोलते सुन खिल उठते हैं। हिदी में बात करते ही वह समझ जाते हैं कि यह भी हिदुस्तानी है। फर्क नहीं पड़ता आप भारत के किस राज्य में रहते हो, किस धर्म को मानते हो या आपकी जाति क्या है। उस क्षण आपकी पहचान केवल हिदुस्तानी होती है। डुमरा के बेली गांव निवासी रामएकबाल ठाकुर के पुत्र और ग्रेजुएशन फर्स्ट पार्ट के छात्र नीतेश कुमार तथा स्नातक के छात्र रोशन कुमार कहते हैं कि साल का यह एक दिन हमें हमारी असली पहचान की याद दिलाता है और बताता है कि आज भी हम हिदी से किस कदर जुड़े हैं। -----------------------------------------
हिन्दी देश को एकता की डोर में बांधने का काम कर सकती है : डीएम
जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने हिन्दी दिवस की जिलेवासियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि हिन्दी देश को एकता की डोर में बांधने का काम कर सकती है। भाषा की सरलता, सहजता और शालीनता अभिव्यक्ति को सार्थकता प्रदान करती है। हिदी ने इन पहलुओं को खूबसूरती से समाहित किया है। भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने।