बिहार का एक गांव, जहां के सभी लोग मांगते हैं भीख
बिहार का एक गांव एेसा है जहां पीढ़ियों की परंपरा है कि यहां के सभी लोग भीख मांगते हैं, यहां कोई और कुछ नहीं करता।
By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 10 Mar 2017 07:47 AM (IST)Updated: Sat, 11 Mar 2017 10:15 PM (IST)
सीतामढ़ी [जेएनएन]। किसी बस्ती में यदि एक-दो लोग भीख मांगते दिखें तो उसे सामान्य समझा जाता है। पर, यदि पूरी बस्ती ऐसा करे तो मामला जरा हटकर है। सीतामढ़ी जिला मुख्यालय डुमरा से महज ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित मिर्जापुर पंचायत के फकीर टोला में पीढिय़ों से ऐसा ही चल रहा है।
सुबह होते ही यहां के लोग भीख मांगने निकल पड़ते हैं। शाम होते-होते घर लौट आते हैं। पूरे दिन में जो कुछ भी हासिल हुआ वे उसे रात को सपरिवार ग्रहण करते हैं। हालांकि नई पीढि़ के बच्चे अब इसमें बदलाव लाना चाहते हैं।
पीढिय़ों से भीख मांगने की परंपरा
करीब 150 की आबादी वाले फकीर टोला में कई पीढ़ी से भीख मांगने की परंपरा है। इस बारे में जुमराती शाह (60) कहते हैं कि मेरे दादाजी भीख मांगकर गुजारा करते थे। धीरे-धीरे परिवार बढ़ता गया और आज यह टोला बन गया है। भीख मांगने के कारण ही इस टोले का नाम फकीर टोला पड़ा।
सीतामढ़ी तक जाते भीख मांगने
शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बाद भी यहां के लोग भीख मांगकर गुजारा करते हैं। जब भी कोई अपिरचित इस टोले में प्रवेश करता है तो पूरे टोले के लोग जुट जाते हैं और उससे पैसे मांगते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग सीतामढ़ी तक भीख मांगने पहुंच जाते हैं।
नई पढ़ी चाहती बदलाव
हालांकि, नई पीढ़ी के बच्चे इस पेशे को बदलना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने मजदूरी आरंभ किया है।
मुख्यधारा में जोड़े जाएंगे लोग
डुमरा के बीडीओ संजय सिन्हा ने कहा कि फकीर टोला के पात्र लोगों को सभी सरकारी सहायता दी जात रही है। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
दी जा रही सहायता
मिर्जापुर की मुखिया चंदा श्रीवास्तव के अनुसार फकीर टोला के लोगों को हर संभव सहायता दी जा रही है। यहां के लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, पेंशन योजना, इंदिरा आवास योजना आदि से लाभान्वित किया गया है। पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। अब यहां के लोग भी मेहनत-मजदूरी करने लगे हैं। उम्मीद है कि शेष लोग भी जल्द ही ऐसा करने लगेंगे।
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