आग्रही नहीं होना चाहिए सत्य
श्रीराम कथा के दौरान श्रद्धालुओं के सवालों के जवाब भी मोरारी बापू ने दिए और उनकी शंकाओं का समाधान किया।
सीतामढ़ी । श्रीराम कथा के दौरान श्रद्धालुओं के सवालों के जवाब भी मोरारी बापू ने दिए और उनकी शंकाओं का समाधान किया। एक सवाल के उत्तर में कहा कि गांधी की आत्मकथा सत्य का प्रयोग का संक्षिप्तिकरण विद्वानों ने किया है। उसे पढ़ लीजिए। अपने स्वभाव के अनुसार उसमें से अपना लीजिए। गांधी के संदेश दो ही हैं सत्य और अ¨हसा। सत्य के लिए गांधी का आग्रह है। सत्य को उतना आग्रही नहीं होना चाहिए। बिनोबा जी ने भी कहा कि सत्य आग्रही नहीं होना चाहिए। आग्रही होने पर वह ¨हसा की ओर जाता है। ¨हसा करने में जुबान बहुत बड़ा शस्त्र है। गांधी के जीवन से कुछ लेना है तो सत्य लें। श्रद्धालुओं संग गाया-आंधी में भी जलती रहे गांधी की ये मशाल। साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। दे दी आजादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। गांधी जी के प्रियतम पद गुनगुनाइए- वैष्णव जन को तेने कहिए, पीर पराई जानिए।
भगवती रूपा हैं भारत माता
सीतामढ़ी : भारत माता एवं भगवती में क्या अंतर है? संबंधी सवाल पर बापू ने कहा कि भारत माता भगवती रूपा हैं। किसी मुल्क में माता शब्द नहीं लगा है। अमेरिका माता, रसिया माता, चीन माता नहीं है। हमारा पड़ोसी मुल्क माता नहीं है। केवल भारता माता है। वंदे मातरम। आप अपने वेशभूषा से कौन संदेश देना चाहते हैं के जवाब में कहा कि मैंने पुरानी फिल्मों की तरह ब्लैक एंड व्हाइट पहना है। हमसे सादगी ले लो। एक अन्य प्रश्न भगवान राम को भगवान नहीं मानते के उत्तर में कहा कि रावण कहां राम को भगवान मानता था। मानना आवश्यक नहीं है। जानना कंपलसरी है। तुलसी भी मानते थे उनको जानते थे। हमारी मान्यता तो दो कौड़ी की है। माता जी हमारी फैक्ट्री नहीं चलाई। इनको छोड़ो अब हनुमान जी पूजा करो। इसलिए मानना नहीं, जानना महत्वपूर्ण है।