परम पवित्र तीर्थ और परम धाम है सीतामढ़ी : मोरारी बापू
मोरारी बापू ने कहा कि तीर्थ अंदर से पवित्र होता है। लेकिन हम उसे अशुद्ध, अस्वच्छ कर देते हैं।
सीतामढ़ी । मोरारी बापू ने कहा कि तीर्थ अंदर से पवित्र होता है। लेकिन हम उसे अशुद्ध, अस्वच्छ कर देते हैं। स्वच्छता और पवित्रता में यही अंतर है कि स्वच्छता हमें आकर्षित करती और पवित्रता हमें समर्पित करती है। मैं डूब जाऊं यह पवित्रता करती है। बुद्ध की पवित्रता में अंगुलीमाल डूब गया । जिस तरह ज्योति जले तो प¨तगा उसमें गिरेगा ही। सीतामढ़ी परम पवित्र तीर्थ है। मां जानकी स्वयं उजाला करती है। यह क्यों दबा रहे, इसे जागृत करने की आवश्यकता है। सीतामढ़ी परमधाम है। कई भगवद प्राप्त संतों को जानकी को नुपूर की आवाज सुनाई देती है। यहां सीता है,यहां संभावना है। मैं तो चला जाउंगा लेकिन इसे आपको देखना है, अब तेरे हवाले वतन साथियों। लीला में जो नर लीला है। तत्व कहिए तो भिन्न, न कहिए तो अभिन्न। राम समान केवल राम ही है। विश्वामित्र जी कहते हैं राम का कोई भी रूप लो, वह राम ही दिखेगा। सिया जी भी एक ही है। राम और सिया तत्व हैं। शास्त्र में लिखा है राम अवतारों के अवतार हैं। राम - राम हैं। राम और सीता दोनों समाहित है। मानो लीला की बात है। मानव मन को रास नहीं आती है। दोनों एक ही हैं। सिया को वन भेजना स्वयं राम का ही वन जाना है।