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सीतामढ़ी की बालूशाही चखेंगे सीता विवाह में आनेवाले बराती

सीतामढ़ी । सीतामढ़ी के रून्नीसैदपुर की बालूशाही के क्या कहने। छेने से बनी पारंपरिक मिठाई के स्वाद के दीवाने पूरे उत्तर बिहार के लोग हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 11:38 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 11:38 PM (IST)
सीतामढ़ी की बालूशाही चखेंगे सीता विवाह में आनेवाले बराती
सीतामढ़ी की बालूशाही चखेंगे सीता विवाह में आनेवाले बराती

सीतामढ़ी । सीतामढ़ी के रून्नीसैदपुर की बालूशाही के क्या कहने। छेने से बनी पारंपरिक मिठाई के स्वाद के दीवाने पूरे उत्तर बिहार के लोग हैं। बाहर से जो भी यहां आता है, इसका स्वाद जरूर लेता है। इसे जीआई टैग दिलाने की पहल भी हुई है। इसके स्वाद से बाहर के लोग भी परिचित हों, इसलिए आठ नवंबर को राम-सीता के विवाह को लेकर अयोध्या से आनेवाली बरात का स्वागत इस बालूशाही से किया जाएगा। इसे लेकर सीतामढ़ी और नेपाल में खास तैयारी चल रही है। आठ दिसंबर को राम जन्मभूमि अयोध्या से माता जानकी की स्थली नेपाल के जनकपुरधाम बरात जएगी। विवाह के बाद सीतामढ़ी के पुनौराधाम और पंथपाकड़ होते हुए बरात अयोध्या लौटेगी। इस दौरान नौ दिसंबर को पुनौरा धाम में माता सीता समेत बरातियों का स्वागत किया जाएगा। इसके लिए चंपारण के कतरनी चूड़ा-दही के साथ बालूशाही परोसी जाएगी। स्वागत समिति की ओर से मिठाई और चूड़ा का आर्डर दिया जा चुका है। इतना ही नहीं सभी बारातियो को पगड़ी (मुरेठा), चादर व महिला बारातियों को चुनरी चादर अभिनंदन पत्र तथा जानकी उछ्वव का प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया जाएगा।

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वहां से बराती जानकी प्राक्टय स्थली पुनौराधाम में पहुंच कर भोजन व विश्राम करेंगे। भोजन (बतखई) के दौरान महिला भक्त मंडली द्वारा मंगल गीत, सोहर गीत व गाली के साथ हंसी ठिठोली भी करेंगी। इस दौरान 300 बाराती के पुनौरा धाम पहुंचने की संभावना है। मिथिला राघव परिवार सेवा न्यास पुनौराधाम के वरिष्ठ सदस्य राम शंकर शास्त्री ने बताया सम्पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन मिथिला राघव परिवार सेवा न्यास पुनौराधाम के बैनर तले होगा। जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है रुन्नीसैदपुर की बालूशाही:: बिहारी व्यंजनों में अपनी विशिष्टता के लिए मशहूर रुन्नीसैदपुर की लजीज मिठाई हैं 'बालूशाही'। माना जाता है कि रुन्नीसैदपुर की विशिष्टता को दर्शाने में इस पारंपरिक मिठाई की भूमिका अहम है। छेने के साथ सूजी की एक खास अनुपात के साथ चीनी की चाशनी में बनाई जाने वाली इस मिठाई की खासियत यह है कि बगैर फ्रीज के एक सप्ताह से दस दिनों तक भी यह खराब नहीं होती है। सैकड़ों वर्ष पुराने अपने इतिहास को समेटे तथा एक लंबे सफर को तय करने के बाद इस मिठाई को अपनी पहचान व ख्याति मिली है। समय के साथ साथ इसमें बदलाव भी हुए और ख्याति व पहचान का दायरा भी बढ़ा है। अब तो, रुन्नीसैदपुर की बालूशाही देशस्तर पर मशहूर होने लगी है।


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