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अखंड सौभाग्य का प्रतीक तीज और चौठी चांद का पर्व आज

सीतामढ़ी। महिलाओं के अखंड सौभाग्य का प्रतीक तीज और चौठी चांद का पर्व सोमवार को पूरे जिले में मनाया जाएगा। पर्व को लेकर गांव से शहर तक उत्साह का माहौल है। रविवार से ही इलाका भक्ति में डूब गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 12:08 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 06:31 AM (IST)
अखंड सौभाग्य का प्रतीक तीज और चौठी चांद का पर्व आज

सीतामढ़ी। महिलाओं के अखंड सौभाग्य का प्रतीक तीज और चौठी चांद का पर्व सोमवार को पूरे जिले में मनाया जाएगा। पर्व को लेकर गांव से शहर तक उत्साह का माहौल है। रविवार से ही इलाका भक्ति में डूब गया। मंगल गीत गूंजने लगे। बाजारों में ग्राहकों की भीड़ रही। इसके चलते शहर में जाम की स्थिति बनी हुई है। पति की लंबी उम्र के लिए किए जाने वाले तीज और चौठी चांद व्रत एक ही दिन पड़ने के कारण पर्व का उत्साह दोगुना हो गया है। वहीं बाजार पर महंगाई का रंग छा गया है। इधर, पंडित के लिए भी लोगों में बेचैनी देखी गई।

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महिलाएं रहती निराहार व निर्जला

हिदू धर्म में मनाए जाने वाले पर्व में तीज भी प्रमुख है। भद्र मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले मनाया जाता है। हालांकि, इस बार दोनों पर्व एक ही दिन है। तीज सुहागिनों का व्रत होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती से सदा सुहागन का आर्शीवाद मांगती हैं। महिलाएं इस व्रत को निराहार और निर्जला रखती हैं। शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार हरतारिलका व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने देवाधिदेवमहादेव भोले बाबा को प्राप्त करने के लिए किया था। तब से कुंवारी कन्याएं भी योग्य वर प्राप्ति की कामना से इस व्रत को करती हैं। शुभ मुहूर्त व विधि विधान

पंडित कृष्णकांत झा के अनुसार प्रात:काल सूर्योदय से 9.13 मिनट तक ही तृतीया है। इस दौरान ही पर्व का संकल्प व पूजा सबसे अच्छा है। व्रती को इस दौरान कम से कम संकल्प लेना सर्वथा उचित है। इस बार तीज सोमवार के दिन 68 वर्षों के बाद होने वाला है। सोमवार भगवान शिव का विशेष दिन माना जाता है। यह व्रत मंगलवार की सुबह पारन के साथ समाप्त होगा। इसी दिन चौठ चांद व गणेश चतुर्थी भी है। इससे इस बार के तीज का महत्व बढ़ जाता है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा अर्चना विशेष फलदायी होता है। व्रत के नियम

-- हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।

-- हरतालिका तीज व्रत को एक बार करने पर फिर इसे छोड़ा नहीं जाता। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।

-- हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण करते हुए भजन-कीर्तन करना चाहिए ।

-- हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्याएं, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं । पूजन सामग्री पर महंगाई की मार

तीज को लेकर पूजन सामग्री पर मंहगाई का बादल छाया रहा। बाजार में उपलब्ध पूजन सामग्री अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक महंगी हो गई है। तीज के कारण सबसे ज्यादा श्रृंगार की वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोत्तरी हुई है। इधर खीरा 40 रुपये किलो बिक रहा है तो मकई के बाल का दाम भी बढ़ दस से 15 रुपये तथा सामा का सत्तु पांच रुपये पुड़िया, केराव 70 रुपये किलो, केराव का दाल 80 रुपये, कलश पांच से 15 रुपये, ढक्कन पांच रुपये, कहतरी पांच से 15 रुपये, नारियल 20 रुपये, डलिया 15 से 20 रुपये, श्रृंगार की वस्तु का पैकेट 40 से 60 रुपये, दीप एक रुपये पीस, पान का पत्ता एक रुपये पीस बाजार में मिल रहा है। फल में अनार 130 से 150 रुपये किलो, केला 30 से 50 रुपये दर्जन, सेव 70 से सौ रुपये किलो, मौसमी 70 से 90 रुपये किलो, नाशपाती सौ रुपये किलो, पपीता 50 रुपये किलो बाजार में मिल रहा है। इधर, व्रत को लेकर दूध की मांग बढ़ने से किल्लत देखी गई। इसके लिए व्रतियों ने एक दिन पहले आवश्यकता के अनुसार दूध की बुकिग कराई थी। सुधा की दुकानों पर दूध के लिए ग्राहकों की भीड़ देखी गई।


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