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कॉलेजों में शिक्षकों का टोटा, पढ़ाई हो रही प्रभावित

शहर के सभी चार अंगीभूत कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 01:04 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 06:16 AM (IST)
कॉलेजों में शिक्षकों का टोटा, पढ़ाई हो रही प्रभावित

सीतामढ़ी। शहर के सभी चार अंगीभूत कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। विश्वविद्यालय शैक्षणिक कार्य के प्रति उदासीन है। हालात यह है कि छात्र बिना पढ़े डिग्री लेने को मजबूर हैं। कालेजों में शिक्षकों की कमी की समस्या करीब एक दशक से अधिक समय से है। यूजीसी ने सभी कॉलेजों को नैक मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया। ऐसे में शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहे कॉलेजों को नैक से मूल्यांकन कराना असंभव दिख रहा है। जिले का गौरव एसआरके गोयनका कालेज की हालत यह है कि शिक्षकों के 53 स्वीकृत पद की जगह 13 शिक्षक ही पदस्थापित हैं। इस कॉलेज में इंटर से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई होती है। संस्कृत, उर्दू, अर्थशास्त्र व मनोनिवज्ञान के साथ-साथ विज्ञान संकाय के रसायन शास्त्र में एक भी शिक्षक नहीं हैं। वही, शहर के एसएलके कॉलेज में 26 सृजित पद

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की जगह 8 शिक्षक ही पदस्थापित हैं। इस कॉलेज में कला संकाय के मनोविज्ञान, उर्दू, हिदी, तर्कशास्त्र, गृह विज्ञान व विज्ञान संकाय के गणित विषय में एक भी शिक्षक नहीं हैं। जबकि कॉमर्स, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, संस्कृत, राजनीति विज्ञान, इतिहास व रसायन शास्त्र में एक-एक शिक्षक हैं। कालेज में शिक्षकेतरकर्मियों का भी घोर अभाव है। 41 स्वीकृत पद की जगह मात्र छह कर्मी ही कार्यरत हैं। जबकि डुमरा स्थित रामसेवक सिंह महिला कॉलेज में शिक्षकों के 29 स्वीकृत पद की जगह मात्र 8 शिक्षक कार्यरत हैं। कॉलेज में अंग्रेजी, हिदी, राजनीति विज्ञान, गृह विज्ञान, मनोविज्ञान, गणित व रासयन शास्त्र में एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं। कॉमर्स संकाय में नामांकित छात्रों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं। इसी तरह जीव विज्ञान व भौतिकी में एक भी शिक्षक नहीं होने से छात्राओं को कांचिग का सहारा

लेना पड़ रहा है। सबसे बुरी हालत डुमरा स्थित से रामसकल सिंह साइंस कॉलेज की है। कालेज में केवल दो ही शिक्षक के भरोसे तीनों संकाय के छात्र-छात्राओं को की पढ़ाई निर्भर है। जबकि कालेज में शिक्षकों के 23 स्वीकृत पद है। क्या कहते हैं कॉलेजों के प्राचार्य :

आरएस साइंस कालेज के प्राचार्य डॉ.अजीत कुमार कहते हैं कि शिक्षकों की कमी चिताजनक विषय है। बार-बार विश्वविद्यालय एवं राज्यपाल को कालेज द्वारा पत्र लिखकर जानकारी दी जा रही है। लेकिन शिक्षकों की बहाली नहीं हो पाने के कारण पोस्टिग नहीं हो पा रही है।

एसआरके गोयनका कालेज के प्राचार्य डॉ.रामनरेश पंडित रमण कहते हैं कि शिक्षकों की कमी है। विश्वविद्यालय को लिखा गया है। जिन विषयों के शिक्षक हैं। वे नियमित वर्ग संचालन करते हैं। नैक मूल्यांकन कराकर कालेज को विश्वविद्यालय का सर्वोच्च कॉलेज बनाने का प्रयास किया जा रहा है। एसएलके कालेज के प्राचार्य डॉ.ममता सिन्हा ने कहा कि शिक्षकों की कमी के बावजूद नए पदस्थापित शिक्षकों द्वारा नियमित वर्ग संचालन किया जा रहा है। कालेज में जिन विषयों के शिक्षक नहीं हैं। उन विषयों में शिक्षकों की बहाली के लिए विश्वविद्यालय को लिखा गया है। रामसेवक सिंह महिला कालेज के प्राचार्य डॉ. उपेंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि शिक्षकों की कमी गंभीर समस्या है। बावजूद कालेज में शैक्षणिक माहौल बनाने का प्रयास जारी है। जिन विषयों में शिक्षकों की कमी है उसकी सूची विश्वविद्यालय को उपलब्ध करा दी गई है।


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