सीतामढ़ी की नुसरत खातून राजकीय सम्मान के लिए चयनित
शहर से सटे मेहसौल पंचायत अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय मेहसौल उर्दू की पंचायत शिक्षिका नुसरत खातून का चयन राजकीय शिक्षक सम्मान के लिए किया गया है।
सीतामढ़ी। शहर से सटे मेहसौल पंचायत अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय मेहसौल उर्दू की पंचायत शिक्षिका नुसरत खातून का चयन राजकीय शिक्षक सम्मान के लिए किया गया है। नुसरत को 5 सितंबर को राजधानी पटना में आहूत समारोह में सम्मानित किया जाएगा। इस बार सरकार ने जिन 17 शिक्षकों को राजकीय सम्मान के लिए चुना है, उनमें नूसरत खातून इकलौती पंचायत शिक्षिका है। नुसरत खातून को शिक्षा के प्रति समर्पण को लेकर इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। वर्तमान में नूसरत प्राथमिक विद्यालय मेहसौल उर्दू की शिक्षिका है। इस स्कूल को अपना भूमि-भवन नहीं है। लेकिन बच्चों को शिक्षित करने की जिद में नुसरत किराये पर मकान लेकर स्कूल चला रही है। वह अपने वेतन से किराया चुका रही है। इसके अलावा वह बेटी-बचाओ बेटी पढ़ाओं अभियान में लगी है। घर-घर घुम कर बच्चों का स्कूल में नामांकन कर उन्हें स्कूल लाकर पढ़ा रही है। अक्षर आंचल योजना के तहत उसने बड़ी संख्या में महिलाओं को साक्षर बनाया है। जबकि लड़कियों को पढ़ने के लिए जागरूक कर रही है। इसके अलावा नशामुक्ति व बाल विवाह के खिलाफ भी वह अभियान चला रही है। नुसरत खातून अपने स्कूल की इकलौती शिक्षिका है। वर्तमान में इस स्कूल में 200 बच्चे है। मदरसा रहमानिया की छात्रा रही नुसरत ने फाजिल तक की शिक्षा हासिल की है। पिता मो. हशमत हुसैन दरभंगा जिले के जाले थाना के मनवा में मध्य विद्यालय में शिक्षक है। नुसरत छह भाई-बहन है, इनमें नुसरत समेत पांच शिक्षक है। नुसरत को एक पुत्र व एक पुत्री है। नुसरत की सफलता पर पति मो. तनवीर आलम व भाई मो. अरमान अली से प्रसन्नता जताई है। शिक्षक दिवस को लेकर उत्साह
सीतामढ़ी, संस : शिक्षक दिवस को लेकर शिक्षक और छात्र उत्साहित हैं। छात्र अपने गुरु को इस दिन सम्मानित करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं शिक्षक भी छात्रों को आशीर्वचन देकर उनके जीवन में समृद्धि और विकास की कामना करने को संकल्पित हैं। गुरू श्रेष्ठ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन पर आयोजित शिक्षक दिवस के दिन देश के कोने कोने में छात्र एवं छात्राएं कार्यक्रम कर शिक्षको के प्रति अपनी श्रद्धा एवं अस्था का प्रदर्शन करते हैं। वे गुरूओं से इन दिन आर्शीवाद ले अपने सुनहरे भविष्य के पथ पर उनके योगदान की गाथा सभी के सामने रखते हैं। पेश हैं इस दिन के आयोजन को लेकर छात्र और शिक्षक से हुई बातचीत के अंश। गुरु के प्रति श्रद्धा से समृद्धि सुनिश्चित
समीर कुमार, शिक्षक : छात्र-छात्रा सदैव ही सच्चे गुरू के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखते हैं। जो शिक्षक निष्ठा के साथ छात्रों को शिक्षा एवं संस्कार देने की कोशिश में रहते हैं उन्हे छात्र- छात्राओं के साथ ही समाज में भी प्रतिष्ठा मिलती है। छात्र एवं शिक्षक के बीच आत्मिय संबंध होना आवश्यक है।
अखिलेश कुमार झा : वर्तमान भौतिकवादी संस्कृति के कारण शिक्षक और छात्रों के बीच केवल ज्ञान लेन देन की व्यवसायिक संबंध ही बन रहे हैं। जिसके कारण शिक्षकों की गरिमा क्षति हो रही है। अब भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षको को भी छात्रों से अत्मिय संबंध स्थापित कर शिक्षा और संस्कार का प्रतिमूर्ति बनना जरूरी है। गुरु हमारे आदर्श हैं
आस्था : गुरू के निर्देशन के बिना ज्ञान अधूरा ही रहता है। ज्ञान की परिपक्वता गुरु द्वारा ही दी जाती है। जिसे पाकर हम धन्य होते हैं। अंधेर में गुरु की शिक्षा ही प्रत्येक संकट में काम आती है। शिक्षक किताबी ज्ञान के साथ ही संस्कार और जो अनुभव देते हैं वह हमारी पूंजी है।
अंजली : गुरु का दिया ज्ञान जीवन के हर मुकाम पर सहयोग करती है। यही ज्ञान जीवन रूपी भवसागर को पार करने का पार करने का नाव है। गुरु सूर्य है जिससे प्रकाशित होकर हम छात्र अपनी आभा संपूर्ण जगत में बिखेरते हैं। गुरु की कृपा से ही हम अपने जीवन में सफलता के साथ समृद्धि पाते हैं।