सीतामढ़ी की साक्षरता दर 62.8 प्रतिशत, सुदूर गांव की महिलाएं व बेटियां अब नहीं लगातीं अंगूठा
आठ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस है । मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिए अंतरर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। पिछड़ा वर्ग के लिए अक्षर आंचल योजना का संचालन हो रहा है।
सीतामढ़ी, जासं। शैक्षणिक माहौल की बेहतरी के लिए बेशक सभी स्तरों पर प्रयास चल रहे हैं, सीतामढ़ी जिले की साक्षरता दर 62.8 प्रतिशत है, उसमें बढ़ोतरी जरूरी है। साक्षरता दर बढ़ाने वाले अभियान का ही असर है कि अब सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं और बेटियां अंगूठा नहीं लगाती हैं। साक्षरता के प्रति भले ही पुरुष ज्यादा जागरूक न हों, महिलाएं ज्यादा हैं। यही वजह है कि उनकी साक्षरता दर बढ़ी है।
साक्षरता केंद्रों से महिलाओं ने आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। साक्षर महिलाएं जीविका से जुड़कर अच्छा कर रही हैं, स्वयं सहायता समूह का गठन कर रोजगार प्राप्त कर रही हैं। दूसरों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं। साक्षरता अभियान से वह न केवल साक्षर बनी हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भी उनमें गजब की आई है। यूं कहें कि साक्षरता अभियान ने महिलाओं की जिदगी में बड़ा बदलाव लाया है। आठ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस है। मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिए अंतरर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है।
साक्षरता कार्यक्रमों से पढ़ाई-लिखाई का बना माहौल
साक्षरता दर बढ़ाने के लिए जिले में महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक, अति पिछड़ा वर्ग के लिए अक्षर आंचल योजना का संचालन हो रहा है। जिसके अंतर्गत 409 शिक्षा सेवक व तालीमी मरकज केंद्रों पर महादलित अल्पसंख्यक समुदाय के 15 से 45 आयु वर्ग की महिलाओं को अक्षर ज्ञान का बोध करा उन्हें साक्षर बनाया जा रहा है। महिलाओं को साक्षरता केंद्रों पर अक्षर ज्ञान के साथ-साथ सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जाती है। उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जाता है, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें। वर्ष 2019 में महा दलित दलित एवं अल्पसंख्यक पिछड़ा वर्ग योजना के अंतर्गत 8595, 2021 में 8319, 2022 में 8243 महिलाओं को परीक्षा में शामिल कराया गया था। नव साक्षर महिलाओं को जिला स्तर से प्रमाण पत्र भी दिया गया। साल 2011 से अब तक अभियान में कुल 4 लाख 83 हजार, 173 महिला-पुरुषों को साक्षर बनाया गया है। जिसमे 2011 से 18 वर्ष में संचालित साक्षर भारत योजना के तहत 2 लाख 24 हजार 315, 2021-22 में पढ़ना-लिखना अभियान के तहत 9503 महिलाओं को साक्षर किया गया।
निरक्षरता का दंश झेलते कुछ लोग अब भी
जिले में अब भी बड़ी संख्या में लोग निरक्षरता का दंश झेल रहे हैं। प्रचार-प्रसार के बावजूद जागरूकता उस हिसाब से नहीं है। मार्च 2018 में सरकार ने साक्षर भारत अभियान बंद कर दिया। इसकी जगह अब मुख्यमंत्री महादलित अल्पसंख्यक अक्षर आंचल योजना चलाई जा रही है। इसके तहत जिले में 409 साक्षरता केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। तालिमी मरकज व टोला सेवक साक्षरता अभियान चला रहे हैं। इस दौरान महिलाओं को साक्षर बना आत्म निर्भर बनाया जा रहा है।
महिलाएं अब हिचकिचाती नहीं, धड़ल्ले से कलम चलाती हैं
डीपीओ साक्षरता गोपाल कृष्ण ने कहा कि बड़ी बाजार की नवसाक्षर सोनी देवी बताती हैं कि साक्षरता अभियान की देन है कि वह अब अक्षर ज्ञान व हस्ताक्षर करना सीख गई हैं। कचहरिपुर की प्रमिला देवी बताती हैं कि केंद्र पर पढ़ने जाती हैं, काफी कुछ सीखा है। बैंक जाती हैं तो हस्ताक्षर करती हैं। साक्षरता केंद्र से जुड़ने पर जीवन मे सुधार आया है, अब बच्चों की पढ़ाई समझ में आती है। तलखापुर के श्याम साफी फरमाते हैं कि अब बुढापा में पढ़कर क्या होगा। काम करने के बाद थक जाते हैं नाम लिखने आ गया यहीं बड़ी बात है। गणेश बैठा का कहना है कि पढ़ने का शौक अब रहा नहीं। जिले में अक्षर आंचल योजना के तहत मात्र 409 शिक्षासेवक कार्यरत हैं जिनमें तालिमी मरकज व उत्थान केंद्र के टोला सेवक कार्यरत हैं। साक्षर महिलाओं को योजनाओं की जानकारी दिलाने एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है।