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पूरा नहीं हुआ सड़क निर्माण, खामियाजा भुगत रहे लोग

सीतामढ़ी। विकास योजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने से इसका खामियाजा आम लोगों को उठना पड़ता है। प्रखंड के आवापुर गांव में इसी समस्या से लोग जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 10:54 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 06:40 AM (IST)
पूरा नहीं हुआ सड़क निर्माण, खामियाजा भुगत रहे लोग

सीतामढ़ी। विकास योजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने से इसका खामियाजा आम लोगों को उठना पड़ता है। प्रखंड के आवापुर गांव में इसी समस्या से लोग जूझ रहे हैं। आवापुर चक उर्फ शेरपुर सड़क निर्माण की धीमी गति के कारण कार्य समाप्ति की तिथि पिछले दो माह पूर्व ही गुजर गयी है पर निर्माण पूरा नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 1 करोड़ 23 लाख 990 रुपये की लागत से बनने वाली सड़क का कार्य प्रारंभ 28 मार्च 2018 को हुआ था। निर्माण कार्य शुरू होते देख आम लोगों में कच्ची सड़क से निजात मिलने की आस बंधी। कार्य समाप्ति की घोषित तिथि 25 मार्च 2019 के गुजरने के बाद भी आधा-अधूरा ही कार्य अब तक हुआ है। सड़क पर जगह-जगह मिट्टी, बालू आदि बिखरे हुए हैं और ठेकेदार गायब है। ग्रामीण विकास मंत्रालय संपोषित इस परियोजना के संवेदक अभिराज कुमार ससमय निर्माण पूरा करने में असफल साबित हुए हैं। इसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं। आवापुर से मुहम्मदपुर जाने वाली सड़क पर अवस्थित नदी पर बने पुल तक पहुंचने के लिए बन रहे इस पहुंच पथ का निर्माण कार्य अधर में छोड़ संवेदक अचानक गायब हो गया है। इससे आम लोगों का आक्रोश दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। सड़क पर वाहनों के चलने और तेज हवा से उड़ने वाली धूल से कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होने का खतरा मंडरा रहा है। सड़क पर इतनी मात्रा में धूल का गुबार उठने से लोग परेशान हैं। सड़क के समीप बसी घनी आबादी इससे त्रस्त है। इस कारण इस भीषण गर्मी में हमेशा घर की खिड़की व दरवाजा बंद रखना पड़ रहा है। सर्वाधिक परेशानी बच्चों-बूढ़ों को उठानी पड़ रही है। कई बार गुजर रहे वाहन धूल के कारण आपस में टकराते-टकराते बचते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां कभी भी गंभीर दुर्घटना घट सकती है पर इससे प्रशासन बेखबर है। जबकि स्थानीय प्रतिनिधियों ने प्रखंड के अधिकारियों को भी यह जानकारी कई बार दी है। फिर भी अब तक कार्य प्रारंभ होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले एक वर्ष से हम लोग धूल युक्त सांस लेने को मजबूर हैं। सोचते थे कि सड़क बनने के बाद सुविधा हमें ही होगी लेकिन अब तो इसकी आस भी नहीं बची है।

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