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मर्ज कैसा भी हो इलाज सबका एक जैसा, कंपाउंडर के भरोसे होम्योपैथी और यूनानी अस्पताल

सीतामढ़ी। दुआ करिए जिला देसी चिकित्सालय में किसी को इलाज की नौबत न आए। यहा आकर आप सदर अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली भूल जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 12:26 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 06:11 AM (IST)
मर्ज कैसा भी हो इलाज सबका एक जैसा, कंपाउंडर के भरोसे होम्योपैथी और यूनानी अस्पताल
मर्ज कैसा भी हो इलाज सबका एक जैसा, कंपाउंडर के भरोसे होम्योपैथी और यूनानी अस्पताल

सीतामढ़ी। दुआ करिए जिला देसी चिकित्सालय में किसी को इलाज की नौबत न आए। यहा आकर आप सदर अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली भूल जाएंगे। गनिमत कहिए ये अस्पताल भी हैं, जहां कम से कम प्रारंभिक इलाज तो मुमकिन है। देसी चिकित्सालयों में इलाज भगवान भरोसे ही दिख रहा है। बुधवार को दैनिक जागरण ने देसी चिकित्सालयों की ऑन द स्पॉट पड़ताल की। व्यवस्था देखकर ही कलेजा हाथ को आ जाता है। शहर के गुदरी बाजार में आयुर्वेद और रघुनाथपुर में जिला अस्पताल का जायजा लेने पहुंचे थे। गुदरी आयुर्वेद अस्पताल बंद था। देखने से लगता है कि अस्पताल अर्से से खुला हीं नहीं। बरामदे में कबाड़ के सामान रखे हुए हैं और चारों तरफ से अतिक्रमण पसरा है। रघुनाथपुरी जिला देसी चिकित्सालय में यूनानी व होम्योपैथी के चिकित्सक नहीं हैं। मरीज आते हैं तो कंपाउंडर ही उनका इलाज करता है। मर्ज चाहे जैसा हो, कंपाउंडर ही सहारा होता है। 60 साल पहले खुले तीनों अस्पताल, उदासीनता से हाल बेहाल

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60 साल पहले जिले में देसी चिकित्सा केंद्रों के नाम पर तीन यूनानी के तीन, आयुर्वेद के दो व होम्योपैथ के एक अस्पताल खोले गए। इनमें परसौनी के भूली में आयुर्वेद, परिहार के बेतहा व नानपुर के पोखरैला में यूनानी, बैरगनिया में होमियोपैथ, शहर के गुदरी बाजार में आयुर्वेद व रघुनाथपुरी में जिला अस्पताल खुला। तब यहीं अस्पताल इलाज का सहारा हुआ करता था। मगर सरकार की उदासीनता और प्रशासन की लापरवही के चलते ये अस्पताल अब सिर्फ नाम के रह गए हैं। हालांकि, इनकी रख-रखाव और चिकित्सक तथा कर्मचारियों की तनख्वाह मद में मोटी रकम खर्च हो रही है। जबकि, आम लोगों को इसका तनिक भी लाभ नहीं मिल पा रहा।

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कोट व्यवस्था तो आप सब देख ही रहे हैं। रही बात इलाज और चिकित्स की तो धीरे-धीरे सब ठीक हो जाने की उम्मीद है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को दवा दी जाती है। फिलहाल 30 से 40 मरीज रोजाना आते हैं। डॉक्टर के रिक्त पद पर बहाली के लिए वैकेंसी निकली हुई है। दो से तीन माह में अस्पताल में यूनानी व होम्योपैथ चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति होनी है। डॉ. गोपालजी मिश्र

जिला देशी चिकित्सा पदाधिकारी


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