Move to Jagran APP

सीतामढ़ी में डकैतों के डर से गांव छोड़ रहे लोग, तीन साल में तीन दर्जन घरों में डकैती

भारत-नेपाल सीमा पर बसे हैं सीतामढ़ी के सोनबरसा परिहार मेजरगंज सुरसंड और बैरगनिया के करीब 500 गांव। परिहार और सुरसंड के करीब आधा दर्जन लोग शहर और प्रखंड मुख्यालय में बसे शहर में कर रहे कारोबार। एक भी मामले को पुलिस नहीं खोल सकी।

By Mukesh KumarEdited By: Ajit kumarPublished: Wed, 05 Oct 2022 10:52 AM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 10:52 AM (IST)
इन प्रखंडों के करीब 500 गांवों के लोग डर एवं भय में रहते हैं। फाइल फोटो

सीतामढ़ी, जासं। भारत-नेपाल सीमा पर बसे सीतामढ़ी जिले में लगातार डकैती से सीमावर्ती गांवों के लोग भय एवं दहशत में हैं। डर के कारण वे गांव छोड़ने लगे हैं। बीते चार-पांच वर्षों में यह देखने को मिला है। सोनबरसा और परिहार के करीब आधा दर्जन लोग सीतामढ़ी शहर व प्रखंड मुख्यालय में जाकर बस गए हैं। वहीं पर व्यवसाय आदि का भी विस्तार कर लिया है। लगातार हो रही डकैती से अन्य सीमावर्ती प्रखंडों के लोग भी गांव छोड़ने की तैयारी में हैं। जिले में पिछले तीन वर्ष में डकैती की तीन दर्जन से अधिक घटनाएं हुई हैं। 2020 में तीन, 2021 में 19 और एक अक्टूबर, 2022 तक 12 घरों में डकैती हुई। इन घटनाओं में पांच करोड़ से अधिक की संपत्ति लूटी गई। एक का भी पुलिस उद्भेदन नहीं कर पाई है।

loksabha election banner

पांच प्रखंड सर्वाधिक प्रभावित

जिले के पांच प्रखंड सोनबरसा, परिहार, मेजरगंज, सुरसंड, बैरगनिया नेपाल सीमा से सटे हैं। इन प्रखंडों के करीब 500 गांवों के लोग डर एवं भय में रहते हैं। डकैतों का दल कब किस गांव में घुस जाए, कहा नहीं जा सकता। परिहार के बहुअरवा में रामदरेश प्रसाद के घर में दो बार डकैती हो चुकी है। उनके परिवार के कई सदस्य डकैतों के भय से घर छोड़ चुके हैं। उनके छोटे भाई सतीश कुमार लोको पायलट हैं। उनका परिवार अब सीतामढ़ी में रह रहा है। उनके तीन चाचा दिनेश साह, भुवनेश्वर साह और लालदेव साह भी गांव छोड़ परिहार में रहने लगे हैं। उधर, सोनबरसा के लोहखर गांव के व्यवसायी दिलचंद साह सुरसंड प्रखंड मुख्यालय में जाकर बस गए हैं। सुरसंड व सीतामढ़ी के बसवरिया में रहकर आरा मशीन व लकड़ी का व्यवसाय कर रहे हैं। इनके अलावा कई अन्य लोग हैं जो डकैतों के भय से गांव छोड़ अन्यत्र पलायन कर गए हैं।

संपत्ति के साथ जान का खतरा

परिहार व बेला थाना क्षेत्र में डकैतों का सर्वाधिक कहर है। लोगों की कमाई बम और बंदूक के बल पर लूटी जा रही है। पुलिस मूकदर्शक बनी है। घटना के बाद आती है और इधर-उधर कुत्ते दौड़ाती है, फिर चली जाती है। एक दिसंबर, 2021 की रात मुजौलिया गांव में व्यवसायी वेदानंद साह के घर भीषण डकैती हुई थी। करीब 18 लाख की संपत्ति लूटी गई थी। गांव के राजपूत टोल के नवीन कुमार सिंह, किशुनी राउत कहते हैं कि पर्व-त्योहार और शादी के समय डकैत कहर बरपाते हैं। लोग रतजगा करते हैं। इस इलाके में वर्ष 2017 में चार, 2018 में सात, 2021 में सात, 2020 में दो और 2022 में तीन घरों में डकैती हुई थी। शिक्षक, किसान, व्यवसायी, फौजी किसी के घर को डकैतों ने छोड़ा नहीं है।

अधिकतर घटनाओं में नेपाली डकैत

एसडीपीओ सदर सुबोध कुमार ने कहा कि सीमावर्ती इलाका होने के चलते डकैतों को इसका लाभ मिल जाता है। लूट के बाद वे नेपाल में प्रवेश कर जाते हैं। अधिकतर घटनाओं में नेपाली डकैत ही शामिल होते हैं। दूसरे देश में धर-पकड़ में तमाम मुश्किलें हैं। सीमा क्षेत्र में संचार व्यवस्था कमजोर होने के चलते भी समय पर सूचना नहीं मिल पाती। डकैतों पर लगाम लगाने को आमजन को भी चाहिए कि पुलिस का हरसंभव सहयोग करें। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.