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नारायण के सानिध्य में ही आनंद: वेदानंद

सुरसंड में श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को ज्ञान वेदी से प्रवचन करते हुए परमपूज्य आचार्य वेदानंद शास्त्री आनंद ने कहा कि नारायण के सानिध्य में ही आनंद है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 12:48 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 12:48 AM (IST)
नारायण के सानिध्य में ही आनंद: वेदानंद
नारायण के सानिध्य में ही आनंद: वेदानंद

सीतामढ़ी। सुरसंड में श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को ज्ञान वेदी से प्रवचन करते हुए परमपूज्य आचार्य वेदानंद शास्त्री आनंद ने कहा कि नारायण के सानिध्य में ही आनंद है। इसलिए ईश्वर,जीव और प्रकृति में विश्वास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्संग के बिना विवेक नहीं होता है। सत्य लोगों की संगति ही सत्संग है। आचार्य ने कहा कि सुन्दर रुप नहीं लोगों के अच्छे कर्म,व्यवहार व स्वभाव ही आकर्षण का माध्यम है। यदि गले में तुलसी और मुख में श्रीकृष्ण हो तो कल्याण होना ही है। मानव को सदैव भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए। ऐसे लोगों का इरादा बुलंद रहता है। मानव हमेशा अपने कार्य में आगे बढ़ते रहते हैं। उनमें गलत भावना कभी आता ही नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता और मछ्वागवत में जितने उपदेश दिए सब अनुकरणीय है। उनका परिवार सुसंस्कारी और मर्यादित रहता है। वेदों व श्री मदभागवत के मर्म को बताते हुए आचार्य आनंद ने कहा कि वैज्ञानिक युग में मानव केवल धन पाने के लिए भटक रहा है। अपने धर्मिक ग्रन्थों में विद्या, ज्ञान का भंडार है। इसे ग्रहण करने वालों को कभी धन की कमी नहीं होगी। मौके पर सोहन पाठक, सूचिका पाठक, उमेश पाठक, मीणा पाठक, बन्दना मिश्र, आदित्य, अभय, सत्यानन्द झा, बुच्चा झा, बालानन्द झा के अलावा सैकड़ों भक्त उपस्थित थे।

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