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शौचालय निर्माण के बाद भी नहीं बदली आदत

सीतामढ़ी। बथनाहा स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2017 में प्रखंड के पंचायतों में घर -घर शौचालय बनाने का अभियान चलाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 11:54 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 11:54 PM (IST)
शौचालय निर्माण के बाद भी नहीं बदली आदत

सीतामढ़ी। बथनाहा, स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2017 में प्रखंड के पंचायतों में घर -घर शौचालय बनाने का अभियान चलाया गया। इस दौरान टोला, मोहल्ला व गांवों में शौचालय का निर्माण शुरू हुआ। तय मापदंड पूरे करने के बाद पंचायतों को ओडीएफ घोषित भी किया गया। लेकिन आज भी यह अभियान पूरी तरह अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सका है। दैनिक जागरण की टीम ने गुरुवार को ओडीएफ घोषित प्रखंड के बखरी पंचायत में इसकी हकीकत की पड़ताल की तो सामने आया सच। पंचायत के कई वार्ड, मोहल्ले में आज भी लोग खुले में सड़क किनारे शौच जा रहे हैं। हद तो यह कि जिस घर में शौचालय का निर्माण हुआ भी है उस घर के लोग भी खुले में शौच करने की आदत नहीं बदल रहे हैं। इस पंचायत में 700 परिवार में शौचालय निर्माण कराए गए। खुले में शौच मुक्त घोषणा के बाद करीब 270 परिवार में शौचालय बनाए गए। लेकिन लाभुकों की मानें तो काफी संख्या में लोगों को शौचालय निर्माण पूरा करने के महीनों बाद भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाई है। इसके लिए लोग पंचायत से लेकर प्रखंड तक आज भी चक्कर लगाने को विवश हैं। बताया यह भी जाता है कि कई लोगों ने कर्ज लेकर शौचालय बना लिया लेकिन राशि नहीं मिलते देख दूसरे लोग चाह कर भी शौचालय निर्माण में रूचि नहीं ले रहे हैं। ग्रामीण दिनेश ठाकुर, ललन राय, गो¨वद साह, उपेंद्र साह, कमलेश साह, राम एकबाल सहनी, विद्या ठाकुर, विनोद राय, गुलजार शेख, रामबलि राय, भिखारी शेख, फूल मोहम्म्द सहित कई लोगों ने बताया कि प्रोत्साहन राशि भुगतान के लिए जिन लोगों द्वारा जियो टै¨गग के दौरान नजराना देने वाले लोगों को एक शौचालय निर्माण पर परिवार के कई सदस्यों के खाते में 12-12 हजार रुपये की राशि भुगतान हुआ। लेकिन जिन लोगों ने नजराना नहीं दिया वैसे लोगों के प्रोत्साहन राशि का भुगतान आज तक नहीं हो सका। इस पंचायत को पिछले साल बड़े ही ताम झाम के साथ ओडीएफ घोषित किया गया। लेकिन पंचायत 2, 3 व 4 वार्ड के अधिकांश आबादी आज भी खुले में शौच करने को विवश है। खासकर दलित -महादलित समाज के अधिकतर घरों में अब भी शौचालय निर्माण नहीं हो सका है। ग्रामीणों की मानें तो गरीबी के कारण अधिकतर दलित महादलित परिवार शौचालय निर्माण में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। लिहाजा पंचायत के खेत और सड़क किनारे सुबह का नजारा बदलता नहीं दिख रहा है। क्या कहते हैं मुखिया : पंचायत के मुखिया चंद्रिका पासवान ने बताया कि पंचायत को खुले में शौच मुक्त घोषित हो गया है लेकिन अब भी कुछ लोग इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। खासकर दलित- महादलित एवं गरीब परिवार के लोगों जो गरीबी का हवाला देते हैं। लोगों को भी जागरूक होना होगा तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा होगा।

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