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मां. ओ मेरी मां. बनके तेरा साया मैं तुझको थाम लूं उठके रब से पहले मैं तेरा नाम लूं

सीतामढ़ी। मां की ममता के प्रति आभार जताने का अवसर है मदर्स डे। मां भगवान का बनाया गया सबसे न

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 11:57 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 11:57 PM (IST)
मां. ओ मेरी मां. बनके तेरा साया मैं तुझको थाम लूं उठके रब से पहले मैं तेरा नाम लूं

सीतामढ़ी। मां की ममता के प्रति आभार जताने का अवसर है मदर्स डे। मां भगवान का बनाया गया सबसे नायाब तोहफा है। हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। लोग इस दिन को पूरी तरह अपनी मां को समर्पित करते हैं। वैसे तो मां को प्यार करने और तोहफे देने के लिए किसी खास दिन की जरुरत नहीं, लेकिन फिर भी मदर्स डे के दिन मां को और सम्मान दिया जाता है। उन्हें तोहफे, मीठा और ढेर सारा प्यार किया जाता है। आजकल सोशल मीडिया के चलते ये दिन काफी प्रचलित हो गया है, और सभी की जानकारी में आने लगा है। क्या शहर और क्या गांव कस्बे सभी जगह के लोग इसको जानते हैं और अपनी मां को विश करके मनाते हैं। उन्हें मैसेज भेजते हैं, उनके साथ अपनी नई-पुरानी फोटो शेयर कर थैंक यू बोलते हैं। 1912 में मदर्स डे की शुरूआत अमेरिका से हुई। एना जार्विस एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं जो अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं। उन्होंने कभी शादी नहीं की। उनकी कोई संतान भी नहीं थी। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। जिसे बाद में 10 मई को पूरी दुनिया में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

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------------------------ ईश्वर हर जगह नहीं पहुंच सकता इसीलिए उसने मां बना दी

ब्रह्मस्थान गुदरी सीतामढ़ी की अनु गुप्ता अपनी मां संगीता गुप्ता व रामविलास मैदान, बैरगनिया की सलोनी गुप्ता अपनी मां सुजाता गुप्ता ने कहा कि ईश्वर हर जगह नहीं पहुंच सकता इसीलिए उसने मां बना दी। जो हर किसी की होती है, हर किसी के पास होती है। शारीरिक उपस्थिति मां के लिए मायने नहीं रखती। वह होती है तो उसकी ईश्वरीय छाया सुख देती है जब ''नहीं'' होती है तब उसके आशीर्वादों का कवच हमें सुरक्षा प्रदान करता है। रुन्नीसैदपुर के गांव की मॉडल एवं अभिनेत्री नेहा राठौर की मां रेखा सिंह की नतनी अद्या व नाती रेवांथ परमार ने मदर्स डे पर विश किया। उन्हें अपने हाथों से गिफ्ट कार्ड बनाकर दिया।

बगाही, रुन्नीसैदपुर की स्वाति चौधरी ने अपनी मांस्वाती चौधरी को इस मदर्स डे पर काफी मिस किया। दरअसल, उसकी मां उसे बचपन में ही दुनिया छोड़ चलीं। आज उनको याद करते वह मायूस हुई। बसबरिया सीतामढ़ी के मोनिका साह अपनी मां तारा देवी को दुनिया की सबसे अच्छी मां बताती है। उसने कहा कि पौराणिक काल की पार्वती से लेकर त्रेता युग की सीता तक, द्वापर युग की यशोदा, कुंती से लेकर राजा-महाराजा के युग की जीजाबाई, अहिल्या देवी तक और कस्तूरबा से लेकर मदर टेरेसा तक मातृत्व की अछ्वुत परंपरा को जन्म देने वाली हर मां को नमन। शहर के गोयनका कॉलेज रोड की निवासी जूली कुमारी अपनी मां अंजू देवी के बारे में यही कहती है। उसने कहा कि हमारी संस्कृति में वसुंधरा को माता कहा गया है। वसुधा जो निरंतर देने और सिर्फ देने में विश्वास रखती है। लेती वही है जो अनुपयोगी है, व्यर्थ है। और देती है, जो उपयोगी है, कल्याणकारी है, जीवनदायी है। श्रीलेदर सीतामढ़ी के समीप की सविता कुमारी ने अपनी मां राजकली देवी को नमन करते हुए कहा कि धरती पर उपस्थित साक्षात ईश्वरीय चमत्कार है मां। उसके प्रति व्यक्त सम्मान परिधि से परे है। अगाध, अटूट और अपार..। उसकी अप्रतिम सुगंध हमारे रोम-रोम से प्रस्फुटित होती है लेकिन हमारी सांस-सांस की हर महक उसकी आत्मा से उठती है। शिवालय मंदिर बैरगनिया वार्ड नंबर-10 की कंचन गुप्ता ने कहा कि माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है। माता के समान कोई रक्षक नहीं है और माता के समान कोई प्रिय चीज नहीं है। माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं।


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