माता जानकी की जन्मस्थली पर विवाहपंचमी की रात सजी नज्म और बज्म की महफिल
माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी जिले वासियों के लिए बुधवार की शाम सुहानी रही। राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त विभिन्न रस के कवियों ने हास्य एवं व्यंग्य के काव्य-पाठ की ऐसी महफिल सजाई कि देर रात तक मुख्यालय डुमरा का हवाई अड्डा मैदान ठहाके से गूंजता रहा।
सीतामढ़ी । माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी जिले वासियों के लिए बुधवार की शाम सुहानी रही। राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त विभिन्न रस के कवियों ने हास्य एवं व्यंग्य के काव्य-पाठ की ऐसी महफिल सजाई कि देर रात तक मुख्यालय डुमरा का हवाई अड्डा मैदान ठहाके से गूंजता रहा। अवसर था 47 वें जिला स्थापना दिवस पर जिला प्रशासन के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मेलन का। माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी में माता सीता और भगवान श्रीराम के विवाहोत्सव और सीतामढ़ी जिले के 47 वें स्थापना दिवस के अदभूत संयोग के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने जहां हास्य की फुलझड़ी छोड़ी, वहीं व्यंग्य वाणों के प्रहार से लोगों को हंसाते- हंसाते लोटपोट कर दिया। कवियों ने श्रृंगार रस की कविताओं के जरिए लोगों में मुहब्बत का संदेश दिया तो वीर रश के तरानों के बीच देशभक्ति का जज्बा बढ़ाया। खूबसूरत मंच एवं खुले आसमान व जगमग रोशनी के बीच कवियों के हास्य व्यंग्य पर आम आदमी के साथ-साथ मौसम भी रिझता नजर आया। लोगों के ठहाके से माहौल पूरी तरह सतरंगी बना रहा। हास्य रस, वीर रस व भक्ति रस का समागम का लोगों ने आनंद उठाया। सरस्वती वंदना ने लोगों को साक्षात सरस्वती के दर्शन होने जैसा बोध कराया। कार्यक्रम का उदघाटन डीएम डॉ. रणजीत कुमार ने किया। मौके पर रीगा विधायक अमित कुमार टुन्ना, जिप उपाध्यक्ष देवेंद्र साह, एसपी विकास बर्मन, डीडीसी प्रभात कुमार, एडीएम ब्रज किशोर सदानंद, डीपीआरओ परिमल कुमार, जिला पंचायती राज पदाधिकारी आलोक कुमार, सीएस डॉ. एके श्रीवास्तव, जिला मतलेरिया पदाधिकारी डॉ. आरके यादव, श्रम अधीक्षक मनीष कुमार, डीआइओ डॉ. केडी पूर्वे, एसडीओ सदर मुकुल कुमार गुप्ता, एसडीपीओ सदर डॉ. कुमार वीर धीरेंद्र, इंस्पेक्टर मुकेश चंद्र कुमर, डीआइओ मुकेश कुमार, नगर थानाध्यक्ष शशि भूषण प्रसाद, डुमरा थानाध्यक्ष विकास कुमार, राजीव कुमार राजू, श्याम किशोर प्रसाद, रितेश रमण ¨सह, अभिषेक मिश्रा शिशु, डॉ. वरूण कुमार व डॉ. राजेश कुमार सुमन आदि मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान डीएम ने आगत कवियों के अलावा कला जत्था टीम को सम्मानित किया। भूल जा कश्मीर को,नही तो खाक हो जाओगे..
जासं, सीतामढ़ी : अगहन माह की विवाहपंचमी की रात। जिस वक्त पूरा देश भगवान श्रीराम और माता जानकी के विवाहोत्सव के उत्सव में डूबा था, उस वक्त माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी जिले के 47 वें स्थापना दिवस पर डुमरा हवाई अड्डा के मैदान में देश स्तर के कवि अपनी कविताओं के जरिए लोगों को मानवता का संदेश दे रहे थे। कृत्रिम प्रकाश के बीच हवाई अड्डा का मैदान खचाखच भरा था। कवियों की महफिल सजी थी और हास्य व्यंग्य की फूलझड़ियां झूट रही थी। कवियों के सुर से निकली शब्दों की गुदगुदी से उठने वाले ठहाकों की गूंज कॉलेज परिसर से लेकर आस पास के इलाके में गूंज रहा था। उत्तरप्रदेश के वाराणसी से आए कवि इमरान बनारसी ने अपनी कविता के माध्यम से पाकिस्तान पर प्रहार किया। वहीं देश भक्ति का अलख जगाया। उन्होंने -भूल जा कश्मीर को, नही तो खाक हो जाओगे, कश्मीर हमारा है और हमारा ही रहेगा के जरिए तालियां बटोरी। उनकी इन पंक्तियों दर्शक पूरे जोश से झूम उठे। इमरान बनारसी ने अपनी पंक्तियों -गूंजे कही पे शंख कही पर अजान हो, सुख हो खुली पटा हो ,खुला आसमान हो, जब जिक्र-ए-एकता हो, तो ¨हदुस्तान हो। चल उस जगह जहां पे न गम का निशान हो, सुख हो खुली पटा हो खुला आसमान हो, के जरिए जमकर तालियां बटोरी। मुंबई से आए हास्य कवि अशोक सुंदरानी ने कहा कि यह इलाका उनके लिए नया नहीं है। पहले भी आते रहे है। उन्होंने वर्तमान दौर में गायब होती मुस्कराहट और अपनत्व में हास्य को कविता के रूप में पेश की। बच्चों पर चर्चा करते हुए कहा कि साहब अब हम बेटा पैदा नहीं करते है, डायरेक्ट बाप पैदा करते है। और इसके चलते ही हमें कवि बनना पड़ता है। वीर रस के कवि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से आए डॉ. कमलेश राजहंस ने- गद्दारों के मंसूबों पर पानी फेरने आया हूं, भारत माता के बेटों को जगाने आया हूं के जरिए महफिल को यादगार बना दिया। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से आए कवि हरि नारायण हरिश ने कहा कि वर्तमान दौर में लोगों का साहित्य से लगाव कम हुआ है। लोग टीवी, मोबाइल और इंटरनेट में उलझ कर रह गए है। कवि सम्मेलन ही एक माध्यम है जिसके बदौलत साहित्य ¨जदा है। यूपी के इलाहाबाद से आए कवि राधेश्याम भारती और बिहार के शंकर कैमूरी ने भी अपनी कविताओं के जरिए लोगों का खूब मनोरंजन किया। जबकि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से आई कवियित्री पूनम श्रीवास्तव ने पहले वंदना और बाद में मुहब्बत के तरानों पर लोगों को झुमाया। साथ ही अपनी कविताओं के जरिए सामाजिक कुरीतियो पर जोरदार प्रहार किया।